चाणक्य नीति सूत्र: जरूरी है बुरी संगत से बचाव

Edited By Jyoti,Updated: 06 Mar, 2021 05:49 PM

chanakya niti in hindi

आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में बताया है कि  संगत से ही इंसान एक अच्छा व्यक्ति बनता है तथा संगति ही किसी भी व्यक्ति को बर्बाद कर सकती है।

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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में बताया है कि  संगत से ही इंसान एक अच्छा व्यक्ति बनता है तथा संगति ही किसी भी व्यक्ति को बर्बाद कर सकती है। इसलिए चाणक्य कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने आस-पास के लोगों के चरित्र पर अधिक ध्यान देना चाहिए। अगर हमारे साथ रहने वाले या आस-पास रहने वालों का चरित्र अच्छा न हो और वो किसी गलत कार्यों में लगे हो तो वो अपने प्रभाव से हमें भी अपने जैसा बनाने में कामयाब हो जाते हैं। तो आइए अब जानते हैं चाणक्य के नीति सूत्र में दिए गए श्लोक से की बुरी संगत से बचना क्यों प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक होता है। साथ ही साथ जानेंगे इनकी एक अन्य नीति- 

बुरी संगत से बचो
चाणक्त नीति श्लोक
अगम्यागमनादायुर्यश : पुण्यानि क्षीयन्ते।

न जाने योग्य जगहों पर गमन अथवा जाने से आयु,जश और पुण्य क्षीण हो जाते हैं।
जो  व्यक्ति व्यभिचारिणी स्त्रियों के पास जाते हैं अथवा जो मद्यपान  या जुआ आदि खेलने जाते हैं या चोरी-चकारी, नशेड़ी, हत्यारों आदि की बुरी संगति में जाते हैं उनकी आयु, यश और सद्कर्मों द्वारा अर्जित पुण्य नष्ट हो जाते हैं। भाव यही है कि आदमी को अपने आपको बुरी संगति से बचाना चाहिए।

आश्रय का महत्व
चाणक्त नीति श्लोक
विशेषज्ञं स्वामिनमाश्रयेत्।

जो व्यक्ति विद्वान है या किसी विद्या में निष्णात है, अर्थात विशेष योग्यता रखता है, ऐसे व्यक्ति को किसी श्रेष्ठ राजा का आश्रय ग्रहण करना चाहिए। इससे उसके ज्ञान का सदुपयोग हो सकता है और सम्मान भी मिल सकता है।

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