Edited By Jyoti,Updated: 14 Oct, 2018 05:08 PM
हर कोई अपने जीवन में एक एेसे व्यक्ति से ज़रूर मिलता है, जिसे इधर की बात उधर और उधर की बात इधर करने की आदत होती है। कहा जाता है कि एेसे लोग कभी किसी को शुभचिंतक नहीं होते।
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हर कोई अपने जीवन में एक एेसे व्यक्ति से ज़रूर मिलता है, जिसे इधर की बात उधर और उधर की बात इधर करने की आदत होती है। कहा जाता है कि एेसे लोग कभी किसी को शुभचिंतक नहीं होते। कहने का भाव यह है कि यह कभी भी किसी का अच्छा नहीं सोचते। तो आइए आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के एक श्रोक के बारे में, जिसमें उन्होंने बताया है कि चुगली करने वाले इंसान का कभी कुछ अच्छा नहीं, उसका नाश होना पक्का है।
श्लोक-
पिशुन: श्रोता पुत्रदारैरपि त्यज्यते।
अर्थात- जो व्यक्ति इधर की उधर लगाकर परस्पर झगड़ा पैदा करता रहता है, ऐसे चुगलखोर व्यक्ति को उसके पुत्र और पत्नी भी त्याग देते हैं अर्थात उसकी परवाह करनी छोड़ देते हैं। इसलिए चाणक्य कहते हैं कि कभी भी किसी की चुगली नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे उस इंसान का कुछ नहीं जाता लेकिन हमारे चरित्र पर कई तरह के सवाल उठने लगने लगते हैं, जो शायद ही किसी को स्वीकार्य होगा।
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