Chhaya Someshwar Mahadev: 800 साल पुराना मंदिर, जहां सूर्य की किरणें शिवलिंग पर बनाती हैं चमत्कारी छाया

Edited By Updated: 04 Oct, 2025 02:21 PM

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Chaya Someshwar Mahadev: तेलंगाना की राजधानी से लगभग 100 किलोमीटर दूर, नलगोंडा जिले में छाया सोमेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह 800 साल पुराना मंदिर केवल अपनी प्राचीनता के लिए ही नहीं, बल्कि एक अद्भुत और अनसुलझे रहस्य के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।

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Chaya Someshwar Mahadev: तेलंगाना की राजधानी से लगभग 100 किलोमीटर दूर, नलगोंडा जिले में छाया सोमेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह 800 साल पुराना मंदिर केवल अपनी प्राचीनता के लिए ही नहीं, बल्कि एक अद्भुत और अनसुलझे रहस्य के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।

इस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग पर पूरे दिन एक स्तंभ की छाया मंडराती रहती है लेकिन आज तक कोई भी यह नहीं जान पाया है कि यह रहस्यमय छाया आखिर आती कहां से है। 

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विज्ञान और वास्तुकला का बेजोड़ संगम
यह मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला और विज्ञान की पराकाष्ठा का एक जीवित प्रमाण है। चूंकि यह दक्षिण भारत में शक्तिशाली चोल राजवंशों के संरक्षण में रहा, इसलिए यह उत्तर भारत के मंदिरों की तरह बड़े पैमाने पर विदेशी आक्रमणों का शिकार नहीं हुआ। यही कारण है कि यहाँ की कलात्मकता और वैज्ञानिक चमत्कार आज भी अपने मूल स्वरूप में मौजूद हैं।

क्या है मंदिर का अनसुलझा रहस्य ?

बाहर से यह रहस्य सरल लगता है लेकिन इसके पीछे गहन खगोलीय और वास्तुशिल्प ज्ञान छुपा हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के ठीक सामने कोई स्तंभ नहीं है, फिर भी छाया शिवलिंग पर लगातार पड़ती रहती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस स्तंभ की छाया शिवलिंग को छूती हुई दिखाई देती है, वह स्तंभ शिवलिंग और सूर्य के बीच में भी नहीं है।

भौतिक विज्ञानियों का मानना है कि मंदिर के बाहरी परिसर में लगे स्तंभों की स्थिति और उनका डिज़ाइन इतना सटीक है कि वे सूर्य की गति के साथ तालमेल बिठाते हैं। दिन भर सूर्य की रोशनी से इन स्तंभों की अलग-अलग परछाइयां बनती हैं और ये सभी आपसी परछाइयां मिलकर एक अकेली, स्पष्ट छाया बनाती हैं जो सीधे शिवलिंग को स्पर्श करती है।

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भौतिक विज्ञानी मनोहर शेषागिरी के अनुसार, इस मंदिर के निर्माण में पूर्व-पश्चिम दिशा की गणना, सूर्य की किरणों का सटीक विश्लेषण, और प्रकाश के परावर्तन के गहन सिद्धांतों का उपयोग किया गया था। प्राचीन कारीगरों ने स्तंभों को इस प्रकार स्थापित किया कि सूर्य दिन के किसी भी समय कहीं भी हो, उससे बनने वाली छाया हमेशा महादेव के लिंग को ही स्पर्श करेगी।

यह मंदिर न केवल एक पवित्र स्थल है, बल्कि एक ऐसी गौरवशाली सभ्यता का प्रतीक है,जहां विज्ञान और आध्यात्म एक-दूसरे के पूरक थे। 800 साल पुराने इस चमत्कार को देखने के लिए आज भी देश-विदेश से पर्यटक और श्रद्धालु नलगोंडा के इस मंदिर में आते हैं, जो पनागल बस स्टैंड से मात्र 2 किलोमीटर दूर स्थित है। यह छाया आज भी आधुनिक विज्ञान के लिए एक खुली चुनौती बनी हुई है।

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