Edited By Prachi Sharma,Updated: 27 Sep, 2025 06:47 AM

Chhinnamasta Devi Rajrappa Mandir: आज जानते हैं झारखंड के रजरप्पा में स्थित छिन्नमस्तिका देवी के मंदिर में। जो देश के सबसे रहस्यमयी और अद्भुत शक्तिपीठों में से एक है। यहां की सबसे बड़ी विशेषता है देवी मां की कटे हुए सिर वाली प्रतिमा। यहां देवी मां...
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Chhinnamasta Devi Rajrappa Mandir: आज जानते हैं झारखंड के रजरप्पा में स्थित छिन्नमस्तिका देवी के मंदिर में। जो देश के सबसे रहस्यमयी और अद्भुत शक्तिपीठों में से एक है। यहां की सबसे बड़ी विशेषता है देवी मां की कटे हुए सिर वाली प्रतिमा। यहां देवी मां अपने ही सिर को हाथ में थामे हुए दिखाई देती हैं। यह मंदिर लगभग 6000 साल पुराना माना जाता है और इसे 51 शक्तिपीठों में दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ कहा गया है।
मान्यता है कि जब मां अपनी सहेलियों के साथ गंगा में स्नान कर रही थीं, तो शाकिनी और डाकिनी को भूख लग गई। सहेलियों की भूख से व्याकुल दशा देखकर माता ने अपना ही सिर काट लिया। कटे हुए सिर से निकली रक्त की तीन धाराओं में से दो धाराएं सहेलियों को दीं और तीसरी धारा स्वयं पीने लगीं। तभी से मां का यह स्वरूप छिन्नमस्तिका कहलाया। भूख मिटाने के लिए खुद की भी परवाह न करना और खुद को भी त्याग देना माता रानी यह कहना चाहती हैं कि जगत कल्याण के लिए लोगों की कल्याण के लिए अगर खुद का भी बलिदान देना पड़े तो दे देना चाहिए।
इस मंदिर में मां की प्रतिमा कमल के फूल पर विराजमान है। दाहिने हाथ में तलवार, बाएं हाथ में कटा हुआ सिर, खुले बिखरे बाल, गले में सर्पमाला और मुंडमाला और पैरों के नीचे कामदेव और रति। मां का यह अद्भुत स्वरूप भक्तों को चमत्कारिक ऊर्जा का अनुभव कराता है। कहते हैं कि छिन्नमस्ता देवी की पूजा विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय और तांत्रिक साधना के लिए की जाती है। बलि और मंत्र-साधना के जरिए भक्त यहां अपनी मनोकामनाएं पूरी करने आते हैं।
नवरात्रि में मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ता है। मां की भव्य आरती, हवन और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु सिर्फ एक झलक पाने के लिए यहां पहुंचते हैं। मंदिर के साथ-साथ रजरप्पा की सुंदरता भी अद्भुत है। यहां का रजरप्पा वॉटरफॉल और भैरवी-दमोदर नदियों का संगम भक्तों को अलौकिक शांति और आनंद प्रदान करता है।