Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Jul, 2025 02:00 PM

Devshayani Ekadashi 2025: 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा, इसका समापन 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर होगा। चातुर्मास में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने शामिल होते हैं। देवशयनी एकादशी का आषाढ़ शुक्ल पक्ष चंद्र चक्र...
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Devshayani Ekadashi 2025: 6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा, इसका समापन 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर होगा। चातुर्मास में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने शामिल होते हैं। देवशयनी एकादशी का आषाढ़ शुक्ल पक्ष चंद्र चक्र का बढ़ता चरण होता है और देवउठनी एकादशी कार्तिक शुक्ल पक्ष के साथ समाप्त होती है।
Devshayani Ekadashi puja vidhi: देवशयनी एकादशी पूजा विधि
देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं। देवशयनी एकादशी व्रत की शुरूआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। दशमी तिथि की रात्रि के भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अगले दिन प्रात: काल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत होकर व्रत का संकल्प करें भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर आसीन कर उनका षोडशोपचार सहित पूजन करना चाहिए। पंचामृत से स्नान करवाकर, तत्पश्चात भगवान की धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। पूजा में तुलसी का प्रयोग जरूर करना चाहिए। तुलसी के भोग के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। भगवान को ताम्बूल, पुंगीफल अर्पित करने के बाद मंत्र द्वारा स्तुति की जानी चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु के स्रोत का पाठ भी करें। इसके अतिरिक्त शास्त्रों में व्रत के जो सामान्य नियम बताए गए हैं, उनका सख्ती से पालन करना चाहिए।

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी अथवा हरिशयनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी से ही भगवान विष्णु का निद्राकाल शुरू हो जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को अपने चित्त, इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम रखना होता है। एकादशी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
