धार्मिक दृष्टि में क्या है ब्रह्मचर्य का महत्व, जानिए

Edited By Updated: 15 Dec, 2021 05:45 PM

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ब्रह्म का अर्थ वेद, ईश्वर, अन्न तथा वीर्य होता है। च्चैर्यज् का अर्थ है पालन करना। च्ब्रह्माणि चरतीति ब्रह्मचारी। ब्रह्म का पठन चिंतन तथा रक्षण करने वाले को ब्रह्मचारी कहते हैं। महर्षि पतंजलि

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ब्रह्मचर्य का महत्व
ब्रह्म का अर्थ वेद, ईश्वर, अन्न तथा वीर्य होता है। चर्य का अर्थ है पालन करना। च्ब्रह्माणि चरतीति ब्रह्मचारी। ब्रह्म का पठन चिंतन तथा रक्षण करने वाले को ब्रह्मचारी कहते हैं। महर्षि पतंजलि ने ब्रह्मचर्य को यम तथा सार्वभौम महाव्रत कहा है। ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला महाव्रती कहलाता है।

ब्रह्म का प्रचलित अर्थ है-जन्नेन्द्रिय का संयम। ब्रह्म का अर्थ है- महान बनने के लिए इंद्रियों का संयम आवश्यक है, संयम से वीर्य रक्षा मुख्य संयम है। जो देश-सेवा करता हो, उसके लिए वीर्य-रक्षा अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक इंद्रिय को अपने वश में रखना चाहिए। रूप-रस-गंध-स्पर्श आदि .......विषयों पर विजय पानी चाहिए। विवाहित व्यक्ति के लिए भी ब्रह्मचर्य का विधान है। स्त्री-पुरुष का संग दो दृष्टियों से हो सकता है।

एक काम वासना से, दूसरे संतानोत्पत्ति के लिए। ये दोनों भावनाएं अलग-अलग हैं। स्त्री-पुरुष का संग संतानोत्पत्ति के लिए होना चाहिए। काम-वासना को तृप्त करने के लिए कदापि नहीं। इस प्रकार का विवाहित स्त्री-पुरुष को संतानोत्पत्ति के लिए संग विवाहित का ब्रह्मचर्य कहलाता है। इस प्रकार से जो संतान होती है उसे धर्मज कहा जाता है, वह धर्म की संतान है। अन्य संतानों को च्कामजज् कहा गया है। वे काम भावना से जो उत्पन्न होती हैं।

कुश को धारण करने का कारण
कुश नान-कंडक्टर होता है इसलिए पूजा-पाठ, जप, होम आदि करते समय कुश का आसन बिछाते हैं और पवित्री स्वरूप हाथ की उंगली में धारण करते हैं जिससे बार-बार हाथ को इधर-उधर करने आदि से भूमि का स्पर्श न हो अन्यथा संचित शक्ति च्अर्थज् होकर पृथ्वी से चली जाएगी। अगर भूलवश हाथ पृथ्वी पर पड़ भी जाए तो भूमि से कुश का स्पर्श होगा। इस प्रकार आपका पुण्य सुरक्षित रहेगा और आप पवित्र रहेंगे।

क्षमा दान क्यों आवश्यक
क्षमा में कितनी बड़ी शक्ति छिपी हुई है, संभवत: आप इस तथ्य से परिचित न हों। क्षमा केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि सही प्रकार से जीवन जीने का एक मंत्र है। ऋषियों के अनुसार जब आप किसी व्यक्ति को क्षमा कर देेते हैं, तथा आपके नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं इस कारण आपका मन हल्का हो जाता है। आप जो ऊर्जा इन नकारात्मक भावों में उलझे रहने में नष्ट करते हैं, वही ऊर्जा रचनात्मक कार्यों में खप सकती है। किसी को क्षमा करने का अर्थ व्यक्ति के समक्ष आत्मसमर्पण कर देना नहीं है। अगर ताॢकक दृष्टि से विचार करें तो क्षमा से आपका विकास होता है। कहा जाता है कि क्षमा रूपी सुगंध को कोई कैद नहीं कर सकता। इसकी खुशबू से आप कभी बच नहीं सकते।
 

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