Dharmik Katha: चेहरे से नहीं स्वभाव से परखें व्यक्ति की सुंदरता

Edited By Updated: 15 Sep, 2021 04:16 PM

dharmik katha in hindi

बहुत पुराने समय की बात है। एक बड़े से समुद्र के बीचों-बीच एक छोटा-सा सुंदर टापू था। पूरे टापू पर बहुत सारे पेड़-पौधे थे। मैदानों में हरी-हरी घास थी और हर रंग के सुंदर फूल वहां उगते थे। फूलों की महक से सारा

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बहुत पुराने समय की बात है। एक बड़े से समुद्र के बीचों-बीच एक छोटा-सा सुंदर टापू था। पूरे टापू पर बहुत सारे पेड़-पौधे थे। मैदानों में हरी-हरी घास थी और हर रंग के सुंदर फूल वहां उगते थे। फूलों की महक से सारा वातावरण महकता रहता था। वहां एक बहुत ही अच्छा राजा राज करता था। सभी की खुशी में वह खुश होता और सबके दुखों को बांट कर कम करता था।

हर वर्ष वहां राज्य के कुलदेवता की पूजा की जाती और उसके लिए बगीचे के सबसे सुंदर फूल को चुना जाता था। यह चुनाव राजा करता था। उस भाग्यशाली फूल को कुलदेवता के चरणों में चढ़ाया जाता था। पिछले कई वर्षों से बगीचे के सबसे सुंदर लाल गुलाब के फूलों को इसके लिए चुना जा रहा था इसलिए गुलाब का पौधा बहुत ही घमंडी हो गया था।

उसे लगता था कि वही एक है जो सब फूलों में सबसे सुंदर है। घमंड के कारण वह तितलियों और मधुमक्खियों को अपने फूलों पर बैठने भी नहीं देता था। उसके ऐसे व्यवहार के कारण कोई तितली या पक्षी उसके पास आना ही नहीं चाहते थे।

हर वर्ष की तरह एक बार फिर वह दिन आने वाला था जब कुलदेवता  की पूजा की जानी थी। गुलाब के पौधे को पूरा विश्वास था कि राजा आएंगे और इस बार भी उसी को चुनेंगे। गुलाब के पौधे के पीछे मिट्टी के ढेर पर एक पौधा अपने आप उग आया था। छोटा सा, नाजुक सा। उस पर चमकदार पीले रंग के छोटे-छोटे फूल उगे थे। वह एक जंगली पौधा था, इसलिए कभी कोई उसकी ओर ध्यान ही नहीं देता था।

उसके फूल छोटे थे लेकिन बेहद सुंदर थे। घंटी के आकार के उन फूलों की पंखुड़ियां किनारों पर गहरे लाल रंग की थीं। वह जानता था कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता है, फिर भी वह बड़े प्यार से सभी तितलियों और पतंगों को अपने पास बुलाकर अपना रस पीने देता था। पक्षी उसकी डालियों पर बैठकर खुश होते थे। यह सब देख कर पौधे को खुशी होती थी कि वह किसी के काम आ सका।

और फिर वह दिन आया जब राजा बगीचे में फूल चुनने आए। माली उन्हें सीधा गुलाब के पौधे के पास ले गया।

‘‘इस बार तो गुलाब और भी सुंदर और बड़े खिले हैं महाराज।’’ 

वह बड़े उत्साह के साथ राजा से बोला। उसने सबसे बड़ा गुलाब तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया लेकिन महाराज ने रोक दिया। वह किसी ओर सुंदर फूल को ढूंढ रहे थे। उन्होंने घूम कर देखा तो उन्हें वह पीले फूलों वाला जंगली पौधा दिखाई दिया। उसके आस-पास अनेक तितलियां और पतंगे घूम रहे थे जबकि गुलाब का पौधा अकेला अलग खड़ा था।


राजा धीरे से जंगली पौधे के पास गए और बोले, ‘‘यह वह पौधा है जो बिना खाद-पानी के उग आया है। बाकी सभी पौधों का माली विशेष ध्यान रखते हैं। समय से पानी देते हैं, खाद डालते हैं, काट-छांट करते हैं इसलिए वे इतने सुंदर हैं लेकिन यह वह पौधा है जो अपनी हिम्मत से खड़ा है फिर भी कितना स्वस्थ है, सुंदर है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसके अच्छे स्वभाव के कारण सभी तितलियां उसके पास आकर बेहद खुश हैं। यही है सच्ची सुंदरता इसलिए कुलदेवता की पूजा के लिए मैं इस जंगली फूल को चुनता हूं।’’
 

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