Diwali 2021: जानें, खील-बताशे से ही क्यों की जाती है लक्ष्मी पूजा

Edited By Updated: 04 Nov, 2021 11:03 AM

diwali

दीपावली का त्यौहार घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद जब रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे तो इसी खुशी में

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Maa Laxmi Prasad Bhog: दीपावली का त्यौहार घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद जब रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे तो इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था। तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाता आ रहा है। दीपावली के दिन हर घर में लक्ष्मी पूजन किया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं, जिनके स्वागत के लिए हर कोई अपने घर को रोशनी से सजाता है। लक्ष्मी पूजन खील-बताशे से किया जाता है। लक्ष्मी की पूजा खील-बताशों से ही क्यों की जाती है, यह भी एक बड़ा कारण है?


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जानकारों का कहना है कि लक्ष्मी पूजन में खील का बड़ा महत्व है। खील धान से बनती है, जो चावल का ही एक रूप है। इसका तात्पर्य यह है कि खील चावल से बनती है। दीपावली आने से कुछ समय पहले चावल की फसल तैयार होती है। मां लक्ष्मी को इस फसल से पहले भोग के रूप में खील-बताशे चढ़ाए जाते हैं। इसलिए खील का बड़ा महत्व है।

ज्योतिषीय कारण भी है इसका
खील-बताशे से महालक्ष्मी की पूजा करने के पीछे ज्योतिषीय कारण भी है। दीपावली का त्यौहार धन और वैभव का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि हिंदू धर्म में धन और वैभव का देवता शुक्र विग्रह को माना जाता है। सफेद और मीठी चीजें शुक्र का प्रतीक मानी जाती हैं। उनका कहना है कि यदि किसी व्यक्ति का शुक्र कमजोर है तो वह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करके भी शुक्र को अपने अनुरूप कर सकता है। राशि में बैठे शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए मां लक्ष्मी को खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

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