Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Oct, 2023 07:11 AM
मां दुर्गा को खुश करने के लिए नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार मनाया जाता है। इसमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि बहुत खास मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इन 9 दिनों में मां अपने भक्तों
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Durga Visarjan: मां दुर्गा को खुश करने के लिए नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार मनाया जाता है। इसमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि बहुत खास मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इन 9 दिनों में मां अपने भक्तों की हर मुराद को पूरा करती हैं। बता दें कि शारदीय नवरात्रि का पर्व अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलता है। इसके अगले दिन दशमी तिथि को विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है। विजयदशमी के अलावा दशमी तिथि के दिन माता रानी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। माना जाता है इस दिन देवी अपने लोक वापिस चली जाती हैं। शास्त्रों के मुताबिक मां की विदाई के लिए मुहूर्त का पता होना जरुरी है। बिना मुहूर्त के विसर्जन करना शुभ नहीं माना जाता है। तो चलिए जानते हैं किस दिन और किस मुहूर्त में मां की विदाई की जाएगी।
Durga Visarjan Date दुर्गा विसर्जन डेट 2023
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन 24 अक्टूबर 2023 को किया जाएगा। जो लोग 9 दिनों तक व्रत रखते हैं, वो इस दिन विसर्जन के बाद ही व्रत का पारण करते हैं।
Durga Visarjan Muhurat दुर्गा विसर्जन मुहूर्त
पंचांग के अनुसार दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर 2023 को शाम 5 बजकर 44 मिनट पर होगी और 24 अक्टूबर दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर इसका समापन होगा। मान्यताओं के अनुसार दोपहर या फिर प्रात:काल के समय मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
दुर्गा विसर्जन मुहूर्त- सुबह 06.27 से लेकर 08.42 ए.एम तक (24 अक्टूबर 2023)
Is tarah kare maa durga ki vidai इस तरह करें मां दुर्गा को विदाई
नवरात्रि के पहले दिन बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मां दुर्गा की प्रतिमा को पंडाल में विराजमान किया जाता है। पूरे 9 दिनों तक विधिपूर्वक मां की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं जिस तरह खुश होकर मां को बुलाया जाता है, उसी तरह हर्षोल्लास के साथ ही उन्हें विदा करना चाहिए।
विदाई से पूर्व विधि-विधान के साथ मां दुर्गा की पूजा करें। फिर उसके बाद विदाई से पहले मां से अपनी गलतियों की क्षमा मांगें।
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि। पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रतिमा को धीरे-धीरे नदी में प्रवाहित करें।