इन उपायों को करने से बढ़ती है आंखों की रोशनी

Edited By Jyoti,Updated: 20 Nov, 2021 01:41 PM

eyesight increases by taking these remedies of ayurveda

आयुर्वेद के अनुसार जो व्यक्ति सदैव अपने नेत्रों को स्वस्थ एवं सबल बनाए रखना चाहता है उसे त्रिफला, घी, शहद, जौ, पैर के तलवों पर तेल की मालिश, शतावरी, मूंग की दाल, पुराने जौ, पुराना गेहूं, सेले चावल, साठी चावल, कोदा

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आयुर्वेद के अनुसार जो व्यक्ति सदैव अपने नेत्रों को स्वस्थ एवं सबल बनाए रखना चाहता है उसे त्रिफला, घी, शहद, जौ, पैर के तलवों पर तेल की मालिश, शतावरी, मूंग की दाल, पुराने जौ, पुराना गेहूं, सेले चावल, साठी चावल, कोदा, अनार, मिश्री, सेंधा नमक, मुनक्का का सेवन करना चाहिए। नेत्रों की रक्षा के लिए छाता धारण करना उपयोगी बताया गया है। किसी भी रूप में धारण किए गए छाते से हमारा नेत्रों के अनेकानेक रोगों से सहज ही बचाव होता है। आयुर्वेद के अनुसार पैर के तलवों में दो मोटी सिराएं पाई जाती हैं, पैर के तलवों पर मालिश करने, उबटन लेप आदि लगाने से इन सिराओं के द्वारा दोनों नेत्रों को लाभ पहुंचता है। इसलिए आयुर्वेद में पैरों में जूते पहनने की महत्वपूर्ण सलाह दी गई है। पंचकर्म, दस्तावर औषधियों, वमन-गजकरणी, व्रत-उपवास इत्यादि के माध्यम से शरीर की शुद्धि करना भी नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए परम उपयोगी माना गया है।
आंखों के लिए हानिकारक है ये बातें :

क्रोध करना, अधिक समय तक शोक में डूबे रहना, दिन में सोना, रात में जागना, चाय-काफी, मांस-मदिरा, अंडा, विविध फास्टफूड, समोसा-कचौरी इत्यादि तले-भुने एवं अधिक नमक-मिर्च एवं मसालों तथा मोनो सोडियम ग्लूटामेट डालकर बनाए गए खाद्य-पदार्थों का सेवन करना।

आंखों का पानी सूखने के कारण
बहुत अधिक प्रदूषित वातावरण में रहना, अत्यधिक धूम्रपान, डायबिटीज, अधिक समय तक टैलीविजन देखना। अधिक समय तक वातानुकूलित परिवेश में रहना,अधिक समय तक मोबाइल फोन एवं कम्प्यूटर इत्यादि पर काम करना।

हल्दी और मोतियाबिद
हैदराबाद स्थित नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के विज्ञानियों द्वारा किए गए एक शोध के अनुसार हल्दी मोतियाबिंद को दूर रखने में भी सहायक है। हर रोज एक चुटकी हल्दी के सेवन से आप मोतियाबिंद से दूर रह सकते हैं।

नेत्र-ज्योति बढ़ाने के लिए आसान प्रयोग
भोजन करने के तत्काल बाद आचमन कर उसी जल-युक्त हाथों से दोनों नेत्रों का स्पर्श करना चाहिए। कहा भी गया है कि भोजन के पश्चात दोनों हाथों को परस्पर रगड़ कर नेत्रों में यदि लगाया जाए तो नेत्रों के रोग नष्ट होने लगते हैं। दोनों आंखों पर पानी के छींटें मार देने से भी आंखों की ज्योति जीवन भर बनी रहती है। यदि छींटें भी नहीं मारने हों तो केवल गीले हाथ आंखों पर फेर देने से भी आंखों की ज्योति जीवन भर बनी रहती है। जो लोग प्रात:काल बिस्तर त्यागते ही तीन गिलास पानी पीते हैं, उनमें भी मोतियाबिंद की शिकायतें कम देखने को मिलती हैं।

नेत्र ज्योतिवर्धक एक अन्य प्रयोग
स्नान करने से ठीक पहले एक-दो बूंदें सरसों के तेल की पैर के अंगूठे के नाखून पर लगा दें। यह प्रयोग दोनों पैरों के अंगूठों पर करना है। पूरे अंगूठे की मालिश भी कर सकते हैं। नियमित रूप से यह प्रयोग करने से जीवन भर चश्मा नहीं चढ़ता है। ऐसा अनेक बुजुर्गों का कहना है तथा नेत्र-ज्योति  बुढ़ापे तक अक्षुण्ण बनी रहती है। नेत्रों के स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से गाजर के मुरब्बे का सेवन करना बहुत लाभप्रद कहा गया है।   -डा. अनुराग विजयवर्गीय

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