Ganesh Jayanti 2022: पढ़ें, विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Feb, 2022 08:22 AM

ganesh jayanti

विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी के जन्मोत्सव को ही श्री गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ganesh Jayanti 2022: विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी के जन्मोत्सव को ही श्री गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है। सनातन धर्म के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। हिन्दू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी की तिथि 4 फरवरी 2022 को प्रातः 4 बजकर 40 मिनट से आरम्भ होगी और अगले दिन 5 फरवरी 2022 को प्रातः 3 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। गणेश जी निराकार हैं, जो भक्त के कल्याण हेतु एक अलौकिक आकार में प्रकट हैं। यह भगवान शिव एवं माता पार्वती के पुत्र हैं। गण का अर्थ है समूह- यह पूरी सृष्टि परमाणु और विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं का समूह है। इस समूह के इष्ट होने के कारण उनका नामकरण हुआ गणेश। यह ही वह शक्ति है, जो इस सृष्टि में एक व्यवस्था स्थापित करती है। इस दिन भगवान श्री गणेश जी की आराधना करने से यश, मान, कीर्ती, ज्ञान एवं सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। भक्ति से प्राप्त पुण्य के प्रभाव से भक्तों के सभी प्रकार के विघ्न दूर होते रहते हैं।

PunjabKesari Ganesh Jayanti

हालांकि श्री गणेश जी की आराधना एक ऐसे देवता के रूप में की जाती है, जिसका आधा शरीर मानव का है और मस्तक एक पशु का है। जो कि वास्तव में उस निराकार परब्रह्म के रूप को प्रकट करता है। गणेश जी अजन्मे हैं और उस चेतना के प्रतीक हैं जो कि सर्वव्यापी है। यह वही सकारात्मक ऊर्जा हैं जो कि इस सृष्टि के कारण हैं और इसी ही ऊर्जा से सब कुछ प्रकट होता है और इसी में ही सब कुछ विलीन हो जायेगा।

PunjabKesari Ganesh Jayanti

Ganesh Jayanti katha: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती जब भगवान शंकर जी के साथ उत्सव क्रीड़ा कर रही थी तो उन पर थोड़ा मैल लग गया। जब उन्हें इसकी अनुभूती हुई तो उन्होंने शरीर से उस मैल को उतार दिया और उस मैल से उन्होंने एक बालक का शरीर बना दिया। फिर उन्होंने अपनी योग शक्ति से उस मैल से बने शरीर में प्राण डाल दिये। फिर उस बालक को आदेश देकर स्नान करने चली गयी। इस दौरान भगवान शिव का वहां पर आगमन हुआ और गणेश जी ने माता की आज्ञा को मानते हुए उन्हें भवन में प्रवेश करने से मना कर दिया। तब भगवान शंकर जी ने क्रोध में आकर अपनी त्रिशूल से गणेश जी का मस्तक काट दिया। यह देखकर माता पार्वती ने उन्हें अवगत कराया कि- यह बालक आप ही का पुत्र है। तब शिव जी ने अपने गणों को आज्ञा दी कि वे कोई भी मस्तक लें आयें जो कि उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके सो रहा हो।  तब वह सहायक गण एक हाथी के बच्चे का सिर ले आये। जिसे शिव जी ने उस बालक के धड़ से जोड़ दिया। तब सभी ने उन्हें बहुत से आर्शीवाद दिये एवं किसी भी देव आराधना, पूजा, हवन इत्यादि में सबसे पहले पूजे जाने का वरदान भी दिया और इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ।

PunjabKesari Ganesh Jayanti

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

PunjabKesari

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!