Ganga Dussehra Katha: गंगा दशहरा पर पढ़ें, स्वर्ग से धरती पर आई गंगा जी के जन्मोत्सव की कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Jun, 2025 07:27 AM

ganga dussehra katha

Ganga Dussehra Katha: गंगा जी का हमारे इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है, जिनकी प्राचीन कथा इस प्रकार कही जाती है- प्राचीन काल में अयोध्या के राजा सगर को अपनी प्रजा प्राणों से भी ज्यादा प्यारी थी। प्रजा के जल संकट को दूर करने के लिए उन्होंने गंगा माता...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ganga Dussehra Katha: गंगा जी का हमारे इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है, जिनकी प्राचीन कथा इस प्रकार कही जाती है-
प्राचीन काल में अयोध्या के राजा सगर को अपनी प्रजा प्राणों से भी ज्यादा प्यारी थी। प्रजा के जल संकट को दूर करने के लिए उन्होंने गंगा माता को पृथ्वी पर लाने का दृढ़ निश्चय किया। इसके लिए राजा सगर के 60 हजार पुत्रों ने मिल कर सफल यज्ञ किया। इस यज्ञ का पूरा उल्लेख महर्षि विश्वामित्र ने श्री राम को जनकपुरी की पैदल यात्रा करते समय गंगा के तीर पर खड़े होकर सुनाया जो इस प्रकार कहा जाता है :

Ganga Dussehra
एक बार राजा सगर ने बहुत बड़ा यज्ञ आयोजित किया। इस यज्ञ की रक्षा का भार उनके पौत्र अंशुभान ने अपने ऊपर लिया। यज्ञ के घोड़े को देवताओं के राजा इंद्र ने चुराया। चोरी को यज्ञ में विघ्न मान कर 60 हजार पुत्रों ने घोड़े की तलाश शुरू की मगर सारी पृथ्वी पर कहीं भी घोड़ा नहीं मिला। पाताल लोक में तलाश के लिए उन्होंने पृथ्वी का बहुत बड़ा भाग खोद डाला।

Ganga Dussehra
पाताल में सनातन भगवान वासुदेव महर्षि कपिल के रूप में बैठे तप कर रहे थे और चोरी किया घोड़ा वहीं खड़ा था। घोड़ा देख सभी में खुशी की लहर दौड़ गई। इस शोर से महर्षि कपिल की समाधि भंग हो गई। योग निद्रा से जागते ही उनके क्रोध की आग से सभी जल गए।

Ganga Dussehra
बहुत देर बाद मरे हुए पुत्रों की चिंता से व्याकुल महाराज दलीप (जो राजा सगर के पौत्र अंशुभान के पुत्र थे) के पुत्र भगीरथ ने कठोर तप किया। उनके पिता, दादा तथा परदादा सभी गंगा को लाने में विफल हुए थे और भगीरथ ने इस विफलता को सफलता में बदलने के लिए ही तपस्या की थी।

Ganga Dussehra

समय आने पर उन्हें प्रजापति ब्रह्मा जी ने कहा, ‘‘हे राजन तू गंगा को स्वर्ग से धरती पर उतारना चाहता है मगर क्या यह भी सोचा है कि धरती गंगा की गति तथा बोझ को सहन कर पाएगी या नहीं। उनका बोझ तो केवल शिवजी ही संभाल सकते हैं। यदि तुम उनसे गंगा का बोझ संभालने का वर लेकर आओ तो ही गंगा पृथ्वी पर आ सकती है।’’

Ganga Dussehra
महाराज भगीरथ ने तपस्या से शिवजी को प्रसन्न करके गंगा जी को संभालने का वर लिया। अपने वचनानुसार प्रजापति ने अपने करमंडल (मानसरोवर) से गंगा की धारा छोड़ी। शिवजी ने जटाओं में गंगा जी कोथाम लिया लेकिन गंगा जी को जटाओं से बाहर आने का रास्ता न मिल सका तो महाराज भगीरथ चिंतातुर हो उठे।

Ganga Dussehra
भगीरथ के दोबारा तपस्या करने पर शिवजी खुश हुए तथा गंगा जी उनकी जटाओं से निकल कर हिमाचल की पहाड़ियों से टकराने लगी तथा मैदान की ओर बढ़ चली। इस तरह गंगा जी का पृथ्वी पर आगमन हुआ।

Ganga Dussehra

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!