Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Apr, 2020 06:53 AM
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के परम प्रिय भक्त श्री हनुमान जी चारों युगों में व्याप्त अपने भक्तों की पीड़ा हरने वाले रामायण महामाला के महारत्न के रूप में जाने जाते हैं। इनका चरित्र एक जीवन दर्शन है,
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Hanuman Jayanti: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के परम प्रिय भक्त श्री हनुमान जी चारों युगों में व्याप्त अपने भक्तों की पीड़ा हरने वाले रामायण महामाला के महारत्न के रूप में जाने जाते हैं। इनका चरित्र एक जीवन दर्शन है, जिसका चिंतन, मनन, श्रवण करने से लोक-परलोक सुधर जाता है। रामदूत हनुमान जी को रुद्रावतार माना गया है, उनके विषय में कुछ लिखना मानो सूर्य को दीपक दिखाना है। भगवान शिव ही श्री रामावतार में श्री राम जी की सेवा का लाभ लेने हेतु हनुमान बने। ‘मंगल को जन्मे मंगल ही करते मंगलमय हनुमान’
हनुमान जी की पूजा में रखें कुछ बातों का ध्यान
मूंगा से बनी हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष जाप करने से शीघ्र फल मिलता है। संसार में जितने भी कठिन काम हैं, हनुमान जी की कृपा से सहज हो जाते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने से सब कुछ मिलने के साथ-साथ श्रीराम जी की भी प्राप्ति होती है। पाप निवारण का यह सर्वश्रेष्ठ साधन है। हनुमान जी जो भी देते हैं वह स्थायी होता है।
महिलाओं को हनुमान जी की उपासना मां जानकी के रूप में करनी चाहिए। स्त्रियां हनुमान जी की उपासना पुत्र भाव से भी कर सकती हैं। जब पुत्र भाव से उपासना की जाती है तो मां जानकी की भांति वे हनुमान जी को आदेश तक दे सकती हैं।
हनुमान जी को चूरमे का प्रसाद बहुत अधिक पसंद है। गुड़ एवं चने का प्रसाद भी श्रेष्ठ है। हनुमान जी को किशमिश और अनार का प्रसाद भी चढ़ाया जा सकता है, जिससे मनोरथ शीघ्र पूर्ण होते हैं। लाल वस्त्र, लाल आसन का प्रयोग श्रेष्ठ होता है।
हनुमान जी की उपासना खड़े होकर करने से तप भी शामिल हो जाता है। ज्योतिषी शनि का प्रकोप होने पर लोगों को हनुमान जी की शरण में जाने को कहते हैं, जिससे शनि का प्रकोप कम होने लगता हैं, यह अटल सत्य है।