हनुमान जी का एक बाल है 1000 शिवलिंगों के बराबर

Edited By Jyoti,Updated: 18 May, 2018 04:16 PM

hanuman ji one hair equal to 1000 shivlinga

प्राचीन समय की बात है एक बार पांडवों के पास नारद मुनि आए और उन्होंने युधिष्ठर से कहा की स्वर्ग में आपके पिता पांडु अति दुखी हैं। जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो नारद ने बताया कि पांडु अपने जीते जी राजसूय यज्ञ करना चाहते थे

प्राचीन समय की बात है एक बार पांडवों के पास नारद मुनि आए और उन्होंने युधिष्ठर से कहा की स्वर्ग में आपके पिता पांडु अति दुखी हैं। जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो नारद ने बताया कि पांडु अपने जीते जी राजसूय यज्ञ करना चाहते थे, जो वो कर न सके, अब ऐसे में यह आपका फर्ज़ बनता है कि आप उनकी इस इच्छा को पूरा करके उनकी आत्मा को शांति पहुंचाएं।
 

तब पांडवों ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया और इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए युधिष्ठर ने यज्ञ में भगवान शिव के परम भक्त ऋषि पुरुष मृगा को आमंत्रित करने का फैसला किया। ऋषि पुरुष मृगा जन्म से ही अपने नाम के जैसे थे। उनका आधा शरीर पुरुष का था और पैर मृग के समान थे। उन्हें ढूंढने और बुलाने का ज़िम्मा भीम को सौंपा गया। जब भीम पुरुषमृगा की ख़ोज में निकलने लगे तो श्री कृष्ण ने भीम को चेतावनी दी कि यदि तुम पुरुषमृगा की गति का मुकाबला नहीं कर पाए तो वो तुम्हें खत्म कर देगा।


इस बात से भयभीत भीम पुरुषमृगा की ख़ोज में हिमालय की ओर चल दिए। जंगल से गुजरते समय उन्हें हनुमान जी मिले। हनुमान जी ने भीम से उसके चिंतित होने का कारण पूछा। भीम ने बजरंगबली को पूरी कहानी बताई। हनुमान जी ने भी यही कहा कि पुरुषमृगा की गति बहुत तेज़ है और उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। उसकी गति मंद करने का एक ही उपाय है। चूंकि वो शिवजी का परम भक्त है इसलिए यदि हम उसके रास्ते में शिवलिंग बना दे तो वो उनकी पूजा करने अवश्य रुक जाएगा।
 

ऐसा कहकर हनुमान जी ने भीम को अपने 3 केश दिए और कहा कि जब भी तुन्हें लगे कि पुरुषमृगा तुम्हें पकड़ने वाले हैं तो तुम एक बाल वहां गिरा देना। यह एक बाल 1000 शिवलिंगों में परिवर्तित हो जाएगा। पुरुषमृगा अपने स्वाभाव अनुसार हर शिवलिंग की पूजा करेंगे और तुम आगे निकल जाना। हनुमान जी की आज्ञा लेकर भीम आगे बढ़े। अभी वह कुछ ही दूर गए कि उन्हें(भीम) को पुरुष मृगा मिल गए जो भगवान महादेव की स्तुति कर रहे थे। भीम ने उन्हें प्रणाम किया और अपने आने का कारण बताया, इस पर ऋषि उनके साथ सशर्त जाने के लिए तैयार हो गए।

शर्त ये थी कि भीम को उनसे पहले हस्तिनापुर पहुंचाना था और अगर वो ऐसा न कर सके तो ऋषि पुरुषमृगा भीम को खा जाएंगे। भीम ने भाई की इच्छा को ध्यान में रखते हुए हां कर दी और हस्तिनापुर की तरफ पुरे बल से दौड़ पड़े। काफी दौड़ने के बाद भीम ने भागते-भागते पलट कर देखा कि पुरुषमृगा पीछे आ रहे है या नहीं, तो चौंक गए कि पुरुषमृगा उसे बस पकड़ने ही वाले हैं। तभी भीम को हनुमान के बाल याद आए और उनमें से एक को गिरा दिया, गिरा हुआ बाल हज़ार शिवलिंगो में बदल गया।
 

शिव के परमभक्त होने के कारण पुरुषुमृगा हर शिवलिंग को प्रणाम करने लगे और भीम भागता रहा। ऐसा भीम ने तीन बार किया और जब वो हस्तिनापुर के द्वार से अंदर जाने ही लगा तो पुरुषमृगा ने भीम को पकड़ लिया, हालांकि भीम ने छलांग लगाई पर उसके पैर दरवाज़े के बाहर ही रह गए। इस पर पुरुषमृगा ने भीम को खाना चाहा, इसी दौरान कृष्णा और युधिष्ठर द्वार पर पहुंच गए। दोनों को देख कर भीम ने भी बहस शुरू कर दी, तब पुरुषमृगा ने युधिष्ठर से न्याय करने को कहा। तो युधिष्ठर ने कहा कि भीम के पांव द्वार के बाहर रह गए थे। इसलिए आप सिर्फ भीम के पैर ही खाने के हकदार है, युधिष्ठर के न्याय से पुरुषमृगा प्रसन्न हुए और भीम को बक्श दिया। उन्होंने राजसूय यज्ञ में भाग लिया और सबको आशीर्वाद भी दिया। एक अन्य किवदंती के अनुसार हनुमान जी ने भीम को हज़ारों बालों का एक गुच्छा दिया था और हर बाल नीचे गिराने पर एक शिवलिंग में बदल गया था।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!