Edited By Niyati Bhandari, Updated: 15 Mar, 2022 10:13 AM

होली का त्यौहार कब आरम्भ हुआ, इसके प्रमाण हमारे प्राचीन ग्रंथों में मिल जाते हैं। तीसरी शताब्दी में पूरे फाल्गुन महीने को वसंतोत्सव के रूप में मनाया जाता था। जिसमें कि पूरे महीने एक मस्ती का आनंददायक वातावरण रहता था।
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Holika Dahan 2022: होली का त्यौहार कब आरम्भ हुआ, इसके प्रमाण हमारे प्राचीन ग्रंथों में मिल जाते हैं। तीसरी शताब्दी में पूरे फाल्गुन महीने को वसंतोत्सव के रूप में मनाया जाता था। जिसमें कि पूरे महीने एक मस्ती का आनंददायक वातावरण रहता था। ठंडा मीठा मौसम, आकाश में मस्ती भरा वातावरण, रंग-बिरंगे बादल, पृथ्वी पर हरियाली ही हरियाली, मंदिरों में रंगीन पानी में केसर मिले चंदन का छिड़काव सा होता रहता है। जो कि पूरा महीने ही रहता है। ब्रजमंडल के मंदिरों में ठाकुर जी बसंत पंचमी से ही गुलाल व फूलों की होली खेलना आरम्भ कर देते हैं। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरणी एकादशी भी कहा जाता है।
Holika dahan puja vidhi: होलिका दहन में एरंड, गूलर की लकड़ियों को जलाना शुभ माना जाता है क्योंकि इनके जलने से जो गैस उत्पन्न होती है वह वायुमंडल को नुकसान नहीं पहुंचाती। गाय के गोबर के उपलों को भी लकड़ियों के साथ-साथ जलाने में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा खरपतवार का भी इस्तेमाल भी साथ में किया जा सकता है। इसमें पीपल, आंवला, केले के वृक्ष, नीम, अशोक, बेलपत्र वृक्ष की लकड़ियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। घार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह वृक्ष वातावरण को नियंत्रण करने में अहम भूमिका निभाते हैं इसलिये इन वृक्ष की लकड़ियों को होलिका दहन में नहीं करना चाहिए।
Dhulandi: धुलंडी के दिन सबसे पहले भगवान को रंग एवं मीठा अर्पण करने के बाद यह त्यौहार खेलना चाहिए। घर पर आये मेहमानों को सौंफ एवं मिश्री अवश्य खिलाना चाहिए इससे आपस में प्रेम भाव बढ़ता है।

Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)
