Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 03:38 PM
एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पूछा, जीवन का मूल्य क्या है। बुद्ध ने उसे एक पत्थर दिया और कहा, जाओ और इस पत्थर का मूल्य पता करके आओ लेकिन ध्यान रखना इसे बेचना नही है। वह आदमी पत्थर को बाजार में एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला, इसकी कीमत क्या है।
एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पूछा, जीवन का मूल्य क्या है। बुद्ध ने उसे एक पत्थर दिया और कहा, जाओ और इस पत्थर का मूल्य पता करके आओ लेकिन ध्यान रखना इसे बेचना नही है। वह आदमी पत्थर को बाजार में एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला, इसकी कीमत क्या है। संतरे वाला चमकीले पत्थर को देख कर बोला- '12 संतरे ले जा और इसे मुझे दे दो।'
आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले पत्थर को देखा और कहा- 'एक बोरी आलू ले जा और इस पत्थर को मेरे पास छोड़ जा।' वह आदमी आगे एक सोना बेचने वाले के पास गया और उसे पत्थर दिखाया। सुनार उस चमकीले पत्थर को देखकर बोला- 'मुझे 50 लाख में बेच दो।' उसने मना कर दिया, तो सुनार बोला- '2 करोड़ में दे दो या तुम खुद ही बता दो इसकी कीमत क्या है, जो तुम मांगोगे वह दूंगा।'
उस आदमी ने सुनार से कहा- मेरे गुरु ने इसे बेचने से मना किया है। आगे वह आदमी हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया और उसे वह पत्थर दिखाया। जौहरी ने जब उस बेशकीमती रूबी को देखा, तो पहले उसने रूबी के पास एक लाल कपड़ा बिछाया फिर उस बेशकीमती रूबी की परिक्रमा लगाई, माथा टेका। फिर जौहरी बोला- 'कहा से लाया है ये बेशकीमती रूबी? सारी कायनात, सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती, ये तो बेशकीमती है।
वह आदमी हैरान-परेशान होकर सीधे बुद्ध के पास आया। अपनी आपबीती बताई और बोला- 'अब बताओ भगवान, मानवीय जीवन का मूल्य क्या है? बुद्ध बोले- संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत '12 संतरे' की बताई। सब्जी वाले के पास गया उसने इसकी कीमत '1 बोरी आलू' बताई।
आगे सुनार ने इसकी कीमत '2 करोड़' बताई और जौहरी ने इसे 'बेशकीमती' बताया। अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है। तू बेशक हीरा है। लेकिन, सामने वाला तेरी कीमत, अपनी औकात, अपनी जानकारी, अपनी हैसियत से लगाएगा। घबराओ मत दुनिया में, तुझे पहचानने वाले भी मिल जाएंगे।