जानें, India को Semi Final में पहुंचाने वाले क्रिकेटर रोहित शर्मा की कुंडली

Edited By Updated: 07 Jul, 2019 01:38 PM

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भारत में क्रिकेट वल्ड कप केवल एक खेल टूरनामेंट के तौर पर ही नहीं बल्कि एक बहुत बड़े जश्न के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान भारत के हर कोने में सिर्फ़ एक ही गूंज सुनाई देती ‘इंडिया’ ‘इंडिया’ ‘इंडिया’…।

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भारत में क्रिकेट वल्ड कप केवल एक खेल टूरनामेंट के तौर पर ही नहीं बल्कि एक बहुत बड़े जश्न के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान भारत के हर कोने में सिर्फ़ एक ही गूंज सुनाई देती ‘इंडिया’ ‘इंडिया’ ‘इंडिया’…। इस साल भी देश का नज़ारा कुछ ऐसा ही रहा है। भारत टीम अपने सफलता के झंडे लहराती हुई सेमी-फाइनल में तो पहुंची ही है साथ ही 2019 के विश्व कप में सबसे उमदा खेल खेलकर पॉइंट टेबल में पहला दर्ज़ा प्राप्त कर चुकी है।

इसका श्रेय भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली के साथ-साथ पूरी भारतीय टीम को जाता है। मगर टीम का एक नामी चेहरा ऐसा है, जिसे जीत का पूरा खिताब दिया जा सकता है और वो नाम है रोहित शर्मा। ये एक ऐसे भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी है जिन्होंने अपनी दमदार बल्लेबाज़ी से भारत वासियों के साथ-साथ विदेशों में रह रहे हिंदूस्तानियों के भी दिल जीत लिए हैं। क्रिकेट की दुनिया में एक ही वल्ड कप में 5 बार शतक बनाने वाले रोहित शर्मा पहले बल्लेबाज बन चुके हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट जगत में सफलता के शिखर पर पहुंचे रोहित शर्मा ने अपने जीवन में काफ़ी संघर्ष और कठिनाइयों का सामना किया है। तो आइए जानते हैं टीम इंडिया के धुरंधर बल्लेबाज रोहित शर्मा की कुंडली से जुड़ी कुछ खास बातें-
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इनके बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 अप्रैल, 1987 को जन्मे रोहित शर्मा ने अपना क्रिकेट करियर 6 साल की आयु में एक बल्लेबाज के रूप में नहीं, बल्कि गेंदबाज के रूप में शुरू किया। उस समय उनके पिता गुरुनाथ शर्मा एक फर्म में केयर टेकर थे और मां पूर्णिमा शर्मा गृहिणी। जब रोहित सिर्फ डेढ़ साल के थे तब उनका परिवार डोंबिवली शिफ्ट हो गया। चूंकि उनके माता-पिता दो बच्चों का खर्च नहीं उठा सकते थे इसलिए रोहित ने अधिकांश समय अपने दादा-दादी और चाचाओं के साथ बिताया।

कहा जाता है आर्थिक कारणों से रोहित शर्मा की शिक्षा तो प्रभावित हुई परंतु खेल प्रभावित नहीं हो सका। रोहित घंटों तक क्रिकेट खेलते थे और अपने परिवार के साथ क्रिकेट पर चर्चा करते थे जो खेल प्रेमियों से भरा था। वास्तव में उनके सभी चाचा अपने स्कूलों और कालेजों के लिए क्रिकेट खेलते थे।

रोहित ने ऑफ स्पिनर के रूप में अपनी शुरूआत की जब तक कि कोच दिनेश लाड ने उन्हें बेहतर कोचिंग और प्रशिक्षण सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए स्वामी विवेकानंद इंटरनैशनल स्कूल में शिफ्ट होने के लिए नहीं कहा। पहले तो रोहित नए स्कूल में शामिल होने से हिचकिचा रहे थे क्योंकि उन्हें पता था कि यह महंगा होगा और उनका परिवार इसकी फीस नहीं उठा पाएगा
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रोहित ने क्रिकेट जगत में एक के बाद एक ताबड़-तोड़ रिकार्ड बनाए हैं। विराट कोहली और धोनी के बल्ले से भी उस स्तर के रन नहीं निकले जितने रन रोहित ने बनाए हैं। उसने इस विश्व कप में भारतीय टीम को कई बार जीत हासिल कराई है।

इस समय रोहित के सितारे बुलंदी पर हैं तथा इन्हें आसानी से सफलता मिलती रहेगी। यह समय इनके पक्ष में है। वैसे तो रोहित शांत स्वभाव के हैं लेकिन मैदान में इनका बल्ला बिल्कुल भी शांत नहीं रहता। यह अच्छी तरह जानते हैं कि किसी भी शॉट को बैस्ट टाइमिंग और फील्डिंग के मद्देनजर कैसे खेला जाए।

रोहित शर्मा की कुंडली जन्म : 30 अप्रैल, 1987 (12 बजे, नागपुर, महाराष्ट्र)
सटीक जन्म समय के अभाव में हम इनकी चंद्र कुंडली का अध्ययन कर रहे हैं। रोहित की कुंडली में सूर्य उच्चस्थ होकर चंद्र और बुध के साथ स्थित है। मंगल द्वितीय भाव में, केतु छठे भाव में, शनि अष्टम भाव में और गुरु, शुक्र व राहू द्वादश भाव में मीन राशि में स्थित हैं। सूर्य का उच्चस्थ होकर चंद्र लग्न में स्थित होना रोहित को आत्मविश्वासी बना रहा है।

कुंडली में उच्च का सूर्य इनको सफलता के साथ ही यश-कीॢत भी दे रहा है। जिस खिलाड़ी का आत्मविश्वास मजबूत हो उस खिलाड़ी को तेज रन बना पाने से रोकना गेंदबाज के लिए सहज नहीं होता। यही कारण है कि एक बार जब रोहित के बल्ले का जादू चलता है तो फिर इनके चौके-छक्कों की बरसात को रोक पाना सहज नहीं होता।

सूर्य-चंद्र की युति इन्हें मानसिक विकलता भी दे रही है। खास बात है कि इनका मंगल चतुर्थ दृष्टि से पंचम भाव को प्रभावित कर रहा है। पंचम भाव खेल और मनोरंजन का भाव होने के कारण इनके खेल को मंगल की ऊर्जा, उत्साह और जोश भी प्राप्त हो रहा है इसलिए रोहित फ्रीहैंड और पूरी शारीरिक क्षमता के साथ खेलते हैं। कुंडली की एक अन्य विशेषता है कि यहां कर्मेश शनि अपने से एकादश भाव में है और सप्तम दृष्टि से राशिश मंगल और पंचम भाव को अपना बल प्रदान कर रहे हैं। अत: कर्म भाव का सीधा संबंध पंचम भाव अर्थात खेलों से आ रहा है। शनि का कर्मेश होना इन्हें मेहनती भी बना रहा है।
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चंद्र सूर्य के कृतिका नक्षत्र में स्थित होने के कारण इन पर सूर्य का प्रभाव सामान्य से अधिक है। कृतिका नक्षत्र के व्यक्तित्व के सभी गुण इनके स्वभाव और जीवन शैली में देखे जा सकते हैं। नक्षत्र प्रभाव ने इन्हें मध्यम कद, चौड़े कंधे तथा सुगठित मांसपेशियां दीं। इन्हें बुद्धिमान,उत्तम सलाहकार, आशावादी व्यक्तित्व कठिन परिश्रम और हठी स्वभाव भी दिया। वचन के पक्के रहने का गुण और समाज सेवा की प्रवृत्ति भी दी। कुछ अहंकार की भावना इन्हें अवश्य दी, जो सही नहीं।

ये परिस्थितियों के अनुसार बदलते नहीं हैं। ईमानदारी से जीते हैं। सूर्य-बुध की युति इन्हें बुद्धिशाली और सोच-समझ कर खेलने का गुण दे रही है। इसके साथ शुक्र भी उच्च का है और गुरु स्वग्रह में है। इस स्थिति में हंस योग एवं मालव योग बनता हैं। कुंडली में उच्च का शुक्र मंगल के साथ मिल कर इनको लक्षमी योग दे रहा है। इनकी कुंडली में सूर्य, चंद्र और मंगल की शुभ स्थिति इन्हें साहसी होने के साथ निर्भीक व आत्मविश्वास से भरा बना रही है। आत्मविश्वास के कारण ही इन्होंने कम उम्र में क्रिकेट जगत में एक से एक रिकार्ड बनाए।

इनकी कुंडली में राहु के कर्क राशि में भ्रमण करने के कारण इनको मानसिक संघर्ष, बेचैनी व अशांति का सामना भी करना पड़ा। मानसिक हताशा के दौर में इनके करियर पर बुरा असर देखने को मिला। अब इनके ग्रह कहते हैं कि फिर से मैदान में रोहित अपना सिक्का मनवाएंगे। रोहित की चंद्र कुंडली के ज्योतिष विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि विश्व कप में इनका प्रदर्शन शानदार रहने के साथ-साथ उपलब्धियों से भरा भी रहेगा।
—आचार्य रेखा कल्पदेव

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