Indira Ekadashi: पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी में न करें ये काम, वरना हो सकता है भारी नुकसान

Edited By Updated: 12 Sep, 2025 06:00 AM

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Indira Ekadashi: जैसे की सब जानते हैं कि अभी पितृ पक्ष चल रहा है। इस दौरान लोग अपने पितरों की सेवा करते हैं, पिंडदान, पितृ तर्पण आदि जैसे अनुष्ठान करते हैं ताकि उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो सकें।

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Indira Ekadashi: जैसे की सब जानते हैं कि अभी पितृ पक्ष चल रहा है। इस दौरान लोग अपने पितरों की सेवा करते हैं, पिंडदान, पितृ तर्पण आदि जैसे अनुष्ठान करते हैं ताकि उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो सकें। ऐसे में इस दौरान एक ऐसा भी दिन आता है जिन्हें पितरों की शांति और मोक्ष के लिए सबसे उत्तम माना गया है। वह है इंदिरा एकादशी। ये एकादशी एकमात्र ऐसी एकादशी है जो पितृ पक्ष में आती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ पितरों का तर्पण और गरीबों को दान आदि भी किया जाता है। जिससे भगवान विष्णु के साथ-साथ पितृ भी प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि इस व्रत को सही नियमों और सावधानियों के साथ किया जाए तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। वहीं, कुछ ऐसे कार्य भी बताए गए हैं जिन्हें इस दिन भूलकर भी नहीं करना चाहिए, वरना व्रत का फल अधूरा रह सकता है। तो आइए जानते हैं कि इंदिरा एकादशी के दिन कौन से नियमों का पालन करना चाहिए।  

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इंदिरा एकादशी के दिन क्या न करें

एकादशी के दिन काले रंग के कपड़े पहनना वर्जित माना गया है। खासतौर पर भगवान विष्णु की पूजा के समय यह रंग शुभ नहीं होता। इस दिन व्रती को पीले, हरे या लाल रंग के वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है।

इंदिरा एकादशी के दिन पर साबुन, तेल या बाल धोने से बचना चाहिए। इसके अलावा कपड़े धोना और झाड़ू-पोछा करना भी अशुभ माना गया है। कहा जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और घर में दरिद्रता का वास होता है।

भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का विशेष रूप से महत्व होता है, लेकिन मान्यता है कि एकादशी के दिन तुलसी को हाथ नहीं लगाना चाहिए। इस दिन तुलसी तोड़ना या उसे पानी देना भी निषिद्ध है। इसलिए तुलसी के पत्ते एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेने चाहिए।

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इसके अलावा एकादशी के दिन मांस, मछली, शराब जैसी तामसिक वस्तुओं का सेवन वर्जित है। साथ ही प्याज और लहसुन जैसी राजसिक चीजें भी इस दिन नहीं खानी चाहिए। मान्यता है कि इस दिन व्रती को सात्विक भोजन और फलाहार पर ही ध्यान देना चाहिए।

धार्मिक मान्यता है कि किसी भी एकादशी पर चावल नहीं खाना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन चावल खाने को महर्षि मेधा के रक्त और मांस का भक्षण करने के समान पाप बताया गया है। इसलिए इस दिन चावल से परहेज करना चाहिए।

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