Edited By Prachi Sharma,Updated: 31 Dec, 2023 08:59 AM
उस समय नेपोलियन एक साधारण सैनिक ही थे। एक दिन राह में एक ज्योतिषी कुछ लोगों का हाथ देख रहे थे। नेपोलियन भी वहां ठहर गए और उन्होंने अपना हाथ
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Inspirational Context: उस समय नेपोलियन एक साधारण सैनिक ही थे। एक दिन राह में एक ज्योतिषी कुछ लोगों का हाथ देख रहे थे। नेपोलियन भी वहां ठहर गए और उन्होंने अपना हाथ ज्योतिषी के आगे कर दिया। वह काफी देर तक उनका हाथ देखता रहा और अचानक उदास हो गया।
नेपोलियन उसके मनोभाव समझ गए और बोले, ‘‘क्या हुआ महाराज ? क्या कोई अनहोनी बात लिखी है, जिससे आप चिंतित हो उठे हैं।’’
ज्योतिषी ने अपनी गर्दन उठाई और बोला, ‘‘तुम्हारे हाथ में भाग्य रेखा ही नहीं है। मैं यही देखकर चिंतित था। जिसके हाथ में भाग्य रेखा ही न हो उसका भाग्य प्रबल कैसे हो सकता है ?’’
ज्योतिषी की बात सुनकर नेपोलियन दंग रह गए। वह बहुत महत्वकांक्षी थे। उन्हें ज्योतिषी की बात से बहुत आघात पहुंचा।
वह ज्योतिषी से बोले, ‘‘महाराज, मैं अपने कर्म से अपना भाग्य ही बदल दूंगा। जीवन हाथ की रेखाओं पर नहीं, कर्म की रेखाओं पर निर्भर करता है। हमारे सद्कर्मों की रेखा जितनी बड़ी होगी, सफलता भी उसी हिसाब से मिलेगी।’’
ज्योतिष बोले, ‘‘बेटा, काश तुम्हारी बात सच साबित हो।’’
नेपोलियन को अपने साहस और आत्मबल पर पूरा भरोसा था इसलिए उन्होंने तय कर लिया कि जो सफलता उनके भाग्य में नहीं है, उसे वे कर्म के बल पर मेहनत से पाकर दिखाएंगे और सच में अनेक बाधाओं का सामना करते हुए नेपोलियन एक साधारण सैनिक से फ्रांस के सम्राट बने।
उन्होंने अपने कर्म से, भाग्य रेखा को कर्म रेखा में बदला और दुनिया को नई दिशा प्रदान करते हुए दिखा दिया कि कर्म की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। इसलिए कहा गया है कि व्यक्ति के जीवन में कर्म प्रधान होता है।