Edited By Prachi Sharma,Updated: 11 Nov, 2025 01:25 PM

Inspirational Context: मराठा सेनापति बाजीराव पेशवा एक बार किसी युद्ध में विजयी होकर सेना सहित राजधानी लौट रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक जगह पड़ाव डाला। पूरी सेना भूख-प्यास से थकी हुई थी लेकिन उनके पास खाने की पर्याप्त सामग्री नहीं थी। यह देख कर...
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Inspirational Context: मराठा सेनापति बाजीराव पेशवा एक बार किसी युद्ध में विजयी होकर सेना सहित राजधानी लौट रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक जगह पड़ाव डाला। पूरी सेना भूख-प्यास से थकी हुई थी लेकिन उनके पास खाने की पर्याप्त सामग्री नहीं थी। यह देख कर बाजीराव ने अपने एक सरदार को बुलाकर किसी खेत से फसल कटवाकर छावनी में लाने का आदेश दिया।
बाजीराव के आदेश का पालन करते हुए सरदार सैनिकों की एक छोटी सी टुकड़ी लेकर पास के गांव में पहुंचा। गांव के बाहर उसे एक किसान दिख गया। उसने किसान को सबसे बड़े खेत पर ले जाने को कहा। किसान को लगा कि यह कोई अधिकारी है जो खेतों का निरीक्षण करने आया है। बड़े खेत पर जाते ही सरदार ने सैनिकों को फसल काटने का आदेश दिया। यह सुनते ही किसान चकरा गया।
उसने हाथ जोड़कर कहा, ‘‘महाराज ! आप इस खेत की फसल न काटें। मैं आपको दूसरे खेत पर ले चलता हूं।’’
सरदार और उसके सैनिक किसान के साथ चल पड़े। वह उन्हें कुछ मील दूर ले गया और वहां एक छोटे से खेत की ओर संकेत कर कहा, ‘‘आपको जितनी फसल चाहिए, यहां से काट लीजिए।’’
सरदार ने नाराज होते हुए कहा, ‘‘यह खेत तो बहुत छोटा है। फिर तुम हमें यहां इतनी दूर क्यों लाए ?’’

तब किसान नम्रता से बोला, ‘‘वह खेत किसी दूसरे का था। मैं अपने सामने उसके खेत को कैसे कटता देखता ? यह खेत मेरा है इसलिए आपको यहां लाया।’’
किसान का बड़ा दिल देख कर सरदार का गुस्सा ठंडा हो गया। उसने फसल नहीं कटवाई और वापस जाकर बाजीराव को सारी बात बताई। तब बाजीराव ने अपनी गलती सुधारते हुए किसान को उसकी फसल के बदले पर्याप्त धन दिया और फसल कटवाई।
