Edited By Prachi Sharma,Updated: 24 Aug, 2025 07:00 AM

Inspirational Story: फ्रांस में विद्वानों की एक संस्था ने वहां के नागरिकों से लेख आमंत्रित किए। सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए पुरस्कार की घोषणा की गई थी। नेपोलियन ने भी एक लेख भेजा था। नेपोलियन के लेख को ही सर्वश्रेष्ठ लेख घोषित किया गया।
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Inspirational Story: फ्रांस में विद्वानों की एक संस्था ने वहां के नागरिकों से लेख आमंत्रित किए। सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए पुरस्कार की घोषणा की गई थी। नेपोलियन ने भी एक लेख भेजा था। नेपोलियन के लेख को ही सर्वश्रेष्ठ लेख घोषित किया गया।
कुछ समय बाद नेपोलियन सम्राट बन गए, तब तक वह इस बात को भूल चुके थे। नेपोलियन के एक मंत्री को इस बात की जानकारी कहीं से मिल गई कि सम्राट ने एक समय एक लेख लिखा था जो पुरस्कृत भी हुआ था। उसने उस लेख की मूल प्रति मंगवाने की सोची। उसने अपने एक विशेष व्यक्ति को भेजकर उस लेख की प्रति मंगवा ली।

एक दिन उसने उस प्रति को सम्राट के सामने रखकर पूछा, “सम्राट, इस लेख के लेखक को आप जानते हैं ?” नेपोलियन उस लेख को देखकर कुछ सोचने लगे।
उनके हावभाव देखकर मंत्री ने सोचा, इस बात पर सम्राट खुश होंगे और उसे पुरस्कार देंगे। कुछ देर सोचने के उपरांत, सम्राट नेपोलियन ने उस प्रति को अपने हाथ में लिया और वह कमरे में जल रही अंगीठी के पास गए। वहां कुछ देर उसे देखते रहे फिर अंगीठी में उस लेख को डाल दिया, जो जल गया।

यह सब देखकर मंत्री ने नेपोलियन से पूछा, “सम्राट, आपने इस लेख को क्यों जला दिया ?”
नेपोलियन का जवाब था, “यह लेख मेरे एक समय की उपलब्धि थी। लेकिन आज के लिए इसका कोई महत्व नहीं है इसलिए मैंने इसे जला दिया।”
मंत्री समझ गए कि आगे बढ़ने का मूल मंत्र यही है कि देश काल की परिस्थिति के अनुसार चिंतन को नया रूप देते रहना चाहिए। ऐसा न हो कि हम अपनी पुरानी प्रशंसाओं में ही डूबे रहें जिससे वर्तमान की प्रगति धीमी पड़ जाए।
