Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Nov, 2025 11:08 AM

Jal mahal jaipur rajasthan: भारत में कई ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो बेहद खास और अनोखी हैं और राजस्थान में तो कई ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो हजारों साल पुरानी हैं। इन इमारतों को भारत की आन-बान और शान भी कहा जाता है। ऐसी ही एक विरासत इमारत है जल...
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Jal mahal jaipur rajasthan: भारत में कई ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो बेहद खास और अनोखी हैं और राजस्थान में तो कई ऐसी ऐतिहासिक इमारतें हैं, जो हजारों साल पुरानी हैं। इन इमारतों को भारत की आन-बान और शान भी कहा जाता है। ऐसी ही एक विरासत इमारत है जल महल। इसे बने हुए 222 साल हो गए हैं, लेकिन यह आज भी पहले जैसी ही भव्यता के साथ खड़ा है। जल महल को अंडरवॉटर पैलेस, फ्लोटिंग पैलेस या वॉटर पैलेस जैसे कई नामों से जाना जाता है। इसे राजपूत और मुगल वास्तुकला का सबसे बेहतरीन उदाहरण माना जाता है।

अरावली पहाड़ियों के घिरी मानसागर झील के बीच में होने के कारण स्थित जल महल को ‘आई बॉल’ के रूप में भी जाना जाता है। इसके अलावा इसे रोमांटिक महल के नाम से भी पुकारते हैं। राजा इस महल का उपयोग अपनी रानी के साथ विशेष समय बिताने के लिए करते थे।
इसके अलावा, इस महल का उपयोग शाही उत्सवों के दौरान भी किया जाता था। 16वीं शताब्दी में, इस महल के निर्माण से पहले भयंकर सूखे के कारण आमेर के शासक मान सिंह ने आमेर और आमगढ़ की नदियों के पानी सहित वर्षा के बेकार चले जाने वाले पानी को एकत्रित करने के लिए एक बांध बनाने का फैसला किया।

पानी संग्रहित किया जाने लगा और इस प्रकार मानसागर झील का निर्माण हुआ। 382 एकड़ में फैली यह झील तीन तरफ उत्तर, पश्चिम और पूर्व में अरावली पहाड़ियों से घिरी हुई है।
इस झील की सुंदरता उस समय के राजाओं के लिए आकर्षण का केंद्र थी और राजा अक्सर नावों से यहां आते-जाते थे। राजा सवाई जय सिंह ने झील के बीच में एक महल बनाने का फैसला किया ताकि वह वहां रह सकें।
जयपुर-आमेर रोड पर 4 किलोमीटर उत्तर में मानसागर झील के मध्य में स्थित इस महल का निर्माण उनके तहत 1699 ई. में पूरा हुआ।

महल के मूल रूप से बनने के बाद कई बार इसका नवीनीकरण किया गया है। इसके निर्माण में राजपूत शैली की नावों का उपयोग किया गया था। महल एक दो मंजिला और चौकोर इमारत है जिसमें मध्ययुगीन महलों के समान मेहराब, बुर्ज, छतरियां और सीढ़ियां हैं। इसकी ऊपरी मंजिल के चारों कोनों पर बुर्ज वाली छतें हैं और केंद्रीय मेहराब संगमरमर के खंभों पर टिके हुए हैं।
जल महल के निर्माण में लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया था। महल के टॉप पर बंगाली शैली में बनी एक बड़ी आयताकार छतरी है।

इस पांच मंजिला जल महल की सबसे खास बात है कि इसकी केवल एक मंजिल ही पानी के ऊपर दिखाई देती है, जबकि मानसागर झील बनने के बाद बाकी चार मंजिलें पानी में डूब गई हैं। ऐसा लगता है कि महल झील के पानी पर तैर रहा है। यही कारण है कि इसमें कोई गर्मी नहीं होती।
इस महल से पहाड़ों और झील का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। खासकर चांदनी रात में झील के पानी में यह महल बहुत खूबसूरत दिखता है। जल महल पहुंचने पर यहां से से मानसागर झील और नाहरगढ़ का अद्भुत नजारा भी दिखता है।
