Kapaleshwar Shiva Temple: नासिक के इस मंदिर में नंदी क्यों गायब ? जानिए असली कहानी

Edited By Updated: 13 Sep, 2025 07:00 AM

kapaleshwar shiva temple

Kapaleshwar Shiva Temple: महाराष्ट्र के नासिक शहर में स्थित कपालेश्वर शिव मंदिर एक अनोखी पहचान रखता है। यह पूरे संसार का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां शिवलिंग के सामने नंदी महाराज नहीं दिखाई देते। इसका कारण एक रोचक और गहन पौराणिक कथा से जुड़ा है।

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Kapaleshwar Shiva Temple: महाराष्ट्र के नासिक शहर में स्थित कपालेश्वर शिव मंदिर एक अनोखी पहचान रखता है। यह पूरे संसार का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां शिवलिंग के सामने नंदी महाराज नहीं दिखाई देते। इसका कारण एक रोचक और गहन पौराणिक कथा से जुड़ा है।

ब्रह्मा के पांचवे मुख का रहस्य
कहते हैं कि भगवान ब्रह्मा के पांच मुख थे। चार मुख वेदों का पाठ करते थे, परंतु पांचवां मुख अहंकार और ईर्ष्या से भरा हुआ था। यह मुख भगवान शिव और विष्णु की निरंतर निंदा करता रहता था। एक बार जब यह सीमा से अधिक बढ़ गया, तो भगवान शिव ने क्रोध में आकर ब्रह्मा का वह पांचवां मुख काट डाला।इस कार्य से शिवजी ब्रह्महत्या, यानी ब्राह्मण की हत्या के दोषी माने गए। यह पाप उन्हें भीतर तक व्यथित कर गया। इस अपराध के प्रायश्चित के लिए वे पूरे भारतवर्ष में यात्रा करते रहे, और अंत में नासिक के पंचवटी क्षेत्र में आकर एक ब्राह्मण देव शर्मा के घर विश्राम किया।

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नंदी की कथा और उसका अपराध
यहां शिवजी ने अपने वाहन नंदी और नंदी की माता के बीच हुई एक गुप्त बातचीत सुनी। नंदी अपनी मां से कह रहा था कि उसके स्वामी यानी शिव ने एक भयंकर पाप किया है और इससे मुक्ति के लिए उन्हें पवित्र नदियों का सहारा लेना होगा।

लेकिन अगले दिन एक अजीब घटना घटी। नंदी ने अचानक क्रोधित होकर ब्राह्मण देव शर्मा पर हमला कर दिया और उनकी जान ले ली। इस पाप का असर यह हुआ कि नंदी का चमकदार सफेद रंग काले रंग में बदल गया, जो उसके अपराध का प्रतीक बन गया।

वित्र नदियों में शुद्धिकरण
अपने पाप से व्यथित होकर नंदी, नासिक की गोदावरी नदी की ओर दौड़ा, जहां तीन नदियां – अरुणा, वरुणा और अदृश्य सरस्वती – रामकुंड में मिलती हैं। जैसे ही नंदी ने उस जल में स्नान किया, उसका रंग फिर से शुद्ध सफेद हो गया। वह पापमुक्त हो चुका था।

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शिव का प्रायश्चित और कपालेश्वर की स्थापना
शिवजी ने यह सब नीरव भाव से देखा। उन्होंने भी गोदावरी में स्नान किया और राम मंदिर में जाकर प्रभु श्रीराम के दर्शन किए। फिर पास की एक पहाड़ी पर जाकर उन्होंने एक शिवलिंग की स्थापना की और घोर तपस्या आरंभ की शिव की इस भक्ति से प्रसन्न होकर आकाश में दिव्य प्रकाश फैला, पुष्पों की वर्षा हुई, और अंततः भगवान विष्णु ने स्वयं उस स्थान को पवित्र घोषित करते हुए शिवलिंग की स्थापना की और उसका नाम रखा – कपालेश्वर, यानी वह जो पापों का विनाश करता है।

क्यों नहीं है नंदी इस मंदिर में?
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यहां शिवलिंग के सामने नंदी की मूर्ति नहीं है। इसका कारण यही है कि भगवान शिव ने नंदी को अपना गुरु और मार्गदर्शक मान लिया था, क्योंकि उसी ने उन्हें पाप से मुक्ति का मार्ग दिखाया था। परंपरा के अनुसार, गुरु हमेशा शिष्य के सामने नहीं बैठता। यही कारण है कि कपालेश्वर मंदिर में नंदी शिव के सामने नहीं, बल्कि अलग स्थान पर हैं, जो इस मंदिर को विशिष्ट बनाता है।

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