Kartik Maas 2025: कार्तिक महीने में इस कथा को पढ़ने से खुलते हैं पुण्य के द्वार

Edited By Updated: 10 Oct, 2025 05:00 AM

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Kartik Maas 2025: कार्तिक महीने की शुरुआत हो चुकि है और इस दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इसके अलावा इस दौरान तुलसी माता की भी पूजा की जाती है। तुलसी माता की पूजा-पाठ करने से घर में सकारात्मक माहौल बना रहता है और...

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Kartik Maas 2025: कार्तिक महीने की शुरुआत हो चुकि है और इस दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इसके अलावा इस दौरान तुलसी माता की भी पूजा की जाती है। तुलसी माता की पूजा-पाठ करने से घर में सकारात्मक माहौल बना रहता है और खुशियां बरकरार रहती हैं। यदि आप कार्तिक माह में विधि-विधान के साथ कथा को पढ़ते है या सुनते हैं तो जीवन की परेशानियां जल्दी खत्म हो जाती हैं। तो चलिए जानते हैं कार्तिक मास की कथा-

PunjabKesari Kartik Maas 2025

एक नगर में एक ब्राह्मण और ब्राह्मणी रहते थे। वे इतने धर्मपरायण थे कि रोज़ाना सात कोस दूर गंगा और यमुना में स्नान करने जाते थे। इतनी लम्बी यात्रा से ब्राह्मणी बहुत थक जाती थी। एक दिन ब्राह्मणी ने अपने पति से कहा कि अगर उनका एक बेटा होता, तो उसकी बहू घर के काम संभाल लेती और उनके लौटने पर खाना भी तैयार रखती, जिससे उन्हें आराम मिलता। पति ने अपनी पत्नी की यह बात सुनी और कहा कि वह उसके लिए बहू लेकर आएगा। ब्राह्मण अपनी यात्रा पर निकल पड़ा। उसने अपनी पोटली में आटा और कुछ सोने की मोहरें रख लीं। रास्ते में, उसे यमुना के किनारे कुछ लड़कियां खेलते हुए मिलीं। उनमें से एक सुंदर लड़की ने घर बसाने की इच्छा ज़ाहिर की। ब्राह्मण ने उसे अपनी बहू बनाने का निश्चय किया।

चूँकि कार्तिक मास चल रहा था, ब्राह्मण ने लड़की से कहा कि वह खाना उसी के घर पर खाएगा। उसने लड़की की माँ से कहा कि वह उसके लिए आटा छानकर रोटी बनाए। जब लड़की की माँ ने आटा छाना, तो उसमें से सोने की मोहरें निकलीं। यह देखकर उन्होंने सोचा कि जिनके आटे में मोहरें हैं, उनका घर धन-धान्य से भरा होगा। यह सोचकर उन्होंने खुशी-खुशी अपनी बेटी की शादी ब्राह्मण से कर दी।

ब्राह्मण अपनी नई बहू को लेकर घर लौटा। ब्राह्मणी को पहले तो शक हुआ, लेकिन बहू ने बड़े प्रेम और लगन से घर के सारे काम किए। उसने चूल्हे की आग नहीं बुझने दी और मटके में हमेशा पानी भरकर रखा। एक दिन चूल्हे की आग बुझ गई, तो बहू डरकर पड़ोसन के पास गई। लेकिन पड़ोसन ने उसे गलत सलाह दी, जिसके कारण बहू ने घर के कामों में लापरवाही बरतना शुरू कर दिया और सास-ससुर का आदर करना भी कम कर दिया।

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बहू के व्यवहार से नाराज़ होकर सास-ससुर ने उससे सातों कोठों की चाबियां वापस मांग लीं।

बहू ने जब वे कोठे खोले, तो वे दंग रह गई ! वहां अन्न, धन और बर्तनों के ढेर थे। साथ ही, शिवजी, माता पार्वती, गणेश जी, लक्ष्मी माता, तुलसी, गंगा-यमुना समेत कई देवी-देवता विराजमान थे। एक चंदन की चौकी पर एक लड़का माला जप रहा था। पूछने पर उसने बताया कि वही उसका पति है और उसे यह दरवाज़ा तभी खोलना चाहिए था जब उसके माता-पिता आ जाते। बहू ने अपने माता-पिता के आने पर उन्हें सम्मान के साथ सब कुछ बताया। सास ने बहू से कहा कि गंगा-यमुना तो घर में नहीं बहतीं, तो बहू ने सातवां कोठा खोला। वहां उन्हें देवी-देवताओं, पवित्र तुलसी और बहती हुई गंगा-यमुना के दर्शन हुए।

इसके बाद, मां ने अपने बेटे की पहचान के लिए एक कठिन परीक्षा ली, जिसे बेटे ने पूरी ईमानदारी से निभाया। यह देखकर सास-ससुर बहुत प्रसन्न हुए। यह कथा दर्शाती है कि कार्तिक मास में सच्चे मन से की गई पूजा, कथा-पाठ और भक्ति से भगवान की कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर में सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली का वास होता है। इस पवित्र महीने में इस कथा का पाठ करने से भगवान की विशेष कृपा सदा बनी रहती है।

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