Karwa Chauth Rituals: राजस्थान के गांवों की अनोखी रीत, करवा चौथ पर मिट्टी के करवे में क्यों होता है चावल-गेहूं का भराव ?

Edited By Updated: 09 Oct, 2025 06:00 AM

karwa chauth rituals

Karwa Chauth Rituals: करवा चौथ का त्योहार, जो मुख्य रूप से पति की लंबी उम्र और सुख-सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए बहुत खास होता है, विभिन्न राज्यों में अपनी अलग-अलग परम्पराओं के लिए जाना जाता है।

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Karwa Chauth Rituals: करवा चौथ का त्योहार, जो मुख्य रूप से पति की लंबी उम्र और सुख-सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए बहुत खास होता है, विभिन्न राज्यों में अपनी अलग-अलग परम्पराओं के लिए जाना जाता है। राजस्थान और उत्तर भारत के कई हिस्सों में, करवा माता की शाम की पूजा में मिट्टी के करवे में चावल और गेहूं भरने का विशेष महत्व है। इस परम्परा के पीछे केवल दान-पुण्य नहीं, बल्कि समृद्धि, पोषण और वैवाहिक सुख की गहरी कामना छिपी है:

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 समृद्धि और अन्नपूर्णा का प्रतीक
करवे में गेहूं और चावल भरना सीधे तौर पर समृद्धि और मां अन्नपूर्णा का आह्वान माना जाता है। गेहूं को प्रमुख अनाज, पोषण और जीवन शक्ति का स्रोत माना जाता है। चावल को भारतीय संस्कृति में पूर्णता, पवित्रता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इन दोनों अनाजों को भरकर पूजा करने का अर्थ है, करवा माता से यह प्रार्थना करना कि घर के अन्न और धन का भंडार कभी खाली न हो।

दान का महत्व
पूजा पूरी होने के बाद, इन भरे हुए करवों को 'बायने' के रूप में सास को या घर की किसी अन्य सुहागिन महिला को आदरपूर्वक भेंट किया जाता है। भारतीय संस्कृति में अन्न का दान सबसे बड़ा दान माना जाता है। यह दान इस कामना के साथ किया जाता है कि दान देने वाली और लेने वाली, दोनों के दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे। उनके घर में अन्न, धन और संतान सुख की कभी कमी न हो।

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पंच तत्वों और चंद्रमा से जुड़ाव
मिट्टी का करवा स्वयं पंच तत्वों का प्रतीक है, जिससे मानव शरीर भी बना है। इसमें अनाज भरने से यह माना जाता है कि जीवन और शरीर दोनों को पोषण, शक्ति और ऊर्जा मिलती है। ज्योतिष के अनुसार, चावल और खील दोनों ही चंद्रमा से संबंधित माने जाते हैं। चंद्रमा मन, शांति, शीतलता और वैवाहिक जीवन की मधुरता का कारक है। करवे में इन अनाजों को भरकर पूजा करने और दान देने से चंद्रमा मजबूत होता है। इस प्रकार, यह परम्परा केवल एक रस्म नहीं है बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम और भावनात्मक संबंध को मजबूत करने, घर में सुख-शांति बनाए रखने और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करके धन और समृद्धि को आकर्षित करने का एक ज्योतिषीय और सांस्कृतिक उपाय है।
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