Edited By Lata,Updated: 26 Jul, 2018 01:51 PM
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हिंदू धर्म में त्रिदेवों की बहुत मान्यता है। त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश। भारत में बहुत से देवी-देवताओं के मंदिर विख्यात हैं। लेकिन आज आपको ब्रह्मा जी के एक एेसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जो पूरे भारत में केवल एक ही है। जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ज्ञात होगा।
राजस्थान के पुष्कर शहर में यह मंदिर स्थिति है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि यह पूरे भारत में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का इकलौता मंदिर है। आइए इसके पीछे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में जानते हैं।
पद्म पुराण के मुताबिक एक बार वज्रनाश नामक राक्षस ने संसार में उत्पात मचा रखा था। भगवान ब्रह्मा ने उसके अत्याचारों को देखते हुए उसका वध कर दिया। वध करते समय ही उनके हाथ से उसी जगह पर तीन कमल के फूल गिरे, इसी स्थान पर तीन झीलें बनी। उसके बाद से इस जगह का नाम पुष्कर पड़ गया। इसके पश्चात ब्रह्मा जी ने यहां यज्ञ करने का फैसला लिया। यज्ञ में पति-पत्नि का एक साथ होना जरुरी होता है। लेकिन वहां मां सरस्वती समय पर नहीं पहुंच पाई। इसी के बीच ब्रह्मा जी ने गुर्जर समुदाय की एक कन्या जिसका नाम गायत्री था, उससे विवाह किया और यज्ञ शुरु कर दिया। तभी वहां माता सावित्री वहां पहुंची और ब्रह्मा जी के बगल में दूसरी कन्या को देखा तो वे क्रोधित हो गईं और उन्होंने क्रोध में आकर ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बाद भी उनका कोई पूजन नहीं करेगा। भगवान विष्णु ने भी इस काम में ब्रह्मा जी का साथ दिया था तो उन्हें भी श्राप दिया उनका अपनी पत्नी के साछ वियोग हो जाएगा। सभी देवों ने मिलकर माता सरस्वती से क्षमा मांगी किंतू श्राप तो वापिस नहीं हो सकता था इसलिए सावित्री ने कहा कि केवल पुष्कर में ही आपकी पूजा होगी और कहीं नहीं। तभी से पूरे भारत में ब्रह्मा जी का पुष्कर स्थान के अलावा ओर किसी जगह कोई मंदिर नहीं है।
पुष्कर में इस मंदिर का निर्माण कब हुआ यह कोई नहीं जानता है। लेकिन कहा जाता है कि प्राचीन समय में एक राजा ने मंदिर के पुराने ढांचें को दोबार से बनवाया था। इसी मंदिर के पीछे मां सावित्री का भी मंदिर स्थित है। जहां पहुंचने के लिए सैकड़ों सीढियों को पार करना पड़ता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां यज्ञ किया जाता है। इसलिए पूर्णिमा के अवसर पर पुष्कर में मेला लगता है। इस मंदिर में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती हैं।
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