पहाड़ी के अंदर मौजूद है मां अन्नपूर्णा का धाम, नवरात्रि में मंदिर में लगती है भक्तों की भीड़

Edited By Updated: 14 Apr, 2022 05:19 PM

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सतपुड़ा के घने जंगलों और पहाड़ों पर हिन्दू देवी देवताओं का वास है। जहां दूर दराज से श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं। इन्हीं अनेकों धामो में एक धाम मां अन्नपूर्णा का है,  जो बालाघाट जिला मुख्यालय

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सतपुड़ा के घने जंगलों और पहाड़ों पर हिन्दू देवी देवताओं का वास है। जहां दूर दराज से श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं। इन्हीं अनेकों धामो में एक धाम मां अन्नपूर्णा का है,  जो बालाघाट जिला मुख्यालय से लगभग 20 कि.मी दूर गड़दा बुढेना की पहाड़ी पर विराजमान है। यहां पहुंचने वाले भक्तों में मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां आकर माता रानी की पूजा आराधना करते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। ग्रामीण द्वारा बताया जाता है यहां माता के दरबार मे हीरों जेवरातों से भरा खजाना और यहां माता की सवारी बाघ को माता के धाम पत्थरों की गुफा में कई बार देखने का दावा किया जाता है। लोक मत है कि मां अन्नपूर्णा को मुरादों वाली और खजाने वाली माता भी कहा जाता।
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चैत्र नवरात्रि के महापर्व के अवसर पर श्रद्धालु दूर-दराज और अन्य प्रदेशों से विभिन्न धामों में माता रानी के दरबार में विभिन्न मन्नतें लेकर पहुंचते हैं। कहा जाता है नवरात्रि में सतपुड़ा के घने जंगल और ऊंची पहाड़ी पर स्थित मुरादों वाली मां अन्नपूर्णा का दरबार निश्चित ही सच्ची आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना होता है, जहां हर वर्ष संतान होने की मन्नत पूरी होने पर लाखों भक्त आते हैं। 
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स्थानीय लोगों के अनुसार 10 सितम्बर का दिन, इस धाम के लिए ऐतिहासिक दिन माना जाता है।  बताया जाता है कि वर्ष 2006 में मां अन्नपूर्णा ने गांव के ही वीर सिंह नाम के शख्स को सपने में प्रकट होने की जानकारी दी थी। उसके बाद लोगों ने उक्त स्थान पर जाकर देखा तो मां अन्नपूर्णा की मूर्ति नजर आई। जिसके बाद से लोगों ने अन्नपूर्णा देवी की पूजा अर्चना शुरू कर दी और आज इस धाम की कीर्ति दूर-दूर तक फैल रही है। पंजाब केसरी के संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार यहां माता के धाम में पुजारी से व्यवस्था के संबंध में बात की तो वीर सिंह अडमे ने बताया कि कैसे माता उनके सपने में आईं  और कैसे माता को कन्या के रूप में साक्षात देखने के बाद इस धाम में पूजा शुरू हुई।
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सच्ची आस्था और श्रद्धा के केंद्र बने मां अन्नपूर्णा के इस दरबार की कीर्ति दूर दूर तक फैल चुकी है। और कई प्रकार की मन्नतें लेकर श्रद्धालु माता के दर्शन को आते हैं। शारदेय नवरात्र का पर्व हो या फिर चैत्र नवरात्र का। वर्ष भर यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। यहां मुराद पूरी होने वाले भक्तों की कमी नहीं है। इस दरबार को अस्तित्व में आये 18 वर्ष बीत चुके हैं हालांकि यहां का विकास अटका हुआ है। 
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