वास्तुनुकूल भौगोलिक स्थिति ने बनाया इस मंदिर को प्रसिद्ध!

Edited By ,Updated: 07 Mar, 2017 03:25 PM

maa pitambara devi temple

मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है। इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं। मां पीतांबरा शत्रु नाश की

मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है। इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं। मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी हैं और राजसत्ता प्राप्ति मेँं मां की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामी जी के द्वारा की गई। ये चमत्कारी धाम स्वामी जी के जप और तप के कारण ही एक सिद्ध पीठ के रूप में जाना जाता है। भक्तों को मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से ही होते हैं। यह देश के लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्मशान हुआ करता था, लेकिन आज यह एक विश्वप्रसिद्ध मंदिर है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि मुकदमें आदि के सिलसिले में मां पीताम्बरा का अनुष्ठान सफलता दिलाने वाला होता है। पीताम्बरा पीठ के प्रांगण में ही मां धूमावती देवी का मंदिर है, जो भारत में भगवती धूमावती का एक मात्र मंदिर है।


मां पीतांबरा के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं जाती। राजा हो या रंक, मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं। मंदिर में मां पीतांबरा के साथ ही खण्डेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शनों का भी सौभाग्य मिलता है। मां पीताम्बरा मंदिर के दायीं ओर विराजते हैं खण्डेश्वर महादेव, जिनकी तांत्रिक रूप में पूजा होती है। महादेव के दरबार से दक्षिण की ओर बाहर निकलते ही दस महाविद्याओं में से एक मां धूमावती के दर्शन होते हैं। सबसे अनोखी बात ये है कि भक्तों को मां धूमावती के दर्शन का सौभाग्य केवल आरती के समय ही प्राप्त होता है क्योंकि बाकी समय मंदिर के कपाट बन्द रहते हैं। मां पीतांबरा के वैभव से सभी की मनोकामना पूरी होती है। भक्तों को सुख-समृद्धि और शान्ति मिलती है, यही वजह है कि मां के दरबार में दूर-दूर से भक्त आते हैं, मां की महिमा गाते हैं और झोली में खुशियां भरकर घर ले जाते हैं।


मां पीतांबरा का जन्म स्थान, नाम और कुल आज तक रहस्य बना हुआ है परंतु मान्यता है कि यह मंदिर भारत में मां बगलामुखी के तीन मुख्य मंदिरों में से एक है। प्रश्न उठता है कि स्वामी द्वारा चयन किया गया एक स्थान आज प्रसिद्ध सिद्धपीठ के रूप में क्यों जाना जाने लगा। इस सिद्धपीठ की इतनी प्रसिद्धि का एकमात्र कारण है इसकी वास्तुनुकूल भौगोलिक स्थिति एवं उस पर हुए निर्माण कार्य। दुनिया में जो भी स्थान प्रसिद्ध है, सिद्ध है जहां सफलताएं मिलती है। उस स्थान की उत्तर एवं पूर्व दिशा में किसी भी प्रकार की नीचाई होती है और दक्षिण एवं पश्चिम दिशा ऊंची होती है।


मध्यप्रदेश के राज्यमार्ग 19 पर दतिया के मध्य स्थित इस पीठ तक जाने के लिए सड़क से 15-16 सीढ़ियां उतरनी पड़ती हैं। राज्यमार्ग 19 इस पीठ की पश्चिम दिशा में स्थित है। इस प्रकार पीठ की पश्चिम दिशा में ऊंचाई है। पश्चिम दिशा में ही सिद्धपीठ का प्रवेशद्वार वास्तुनुकूल स्थान पर बना है जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। परिसर के नैऋत्य कोण में पुजारी, भक्तों के रहने और ऑफिस इत्यादि के लिए भवन बने हैं। इस प्रकार नैऋत्य कोण भी भारी है। परिसर के उत्तर ईशान कोण में बढ़ाव है।
 

मंदिर में पीताम्बरा देवी की मूर्ति पूर्वमुखी स्थापित है। परिसर के अंदर मां के मंदिर के सामने पूर्व दिशा में ही श्री स्वामी मन्दिरम् हॉल है। इसके बाद पूर्व ईशान में काफी बड़ा और गहरा श्रीहरिद्रा सरोवरम् है। इस प्रकार पीठ की पूर्व दिशा पश्चिम दिशा की तुलना में नीची हो रही है और साथ ही यहां पानी भी है। वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा की नीचाई शक्ति और सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है। इसी कारण तांत्रिक यहां हमेशा तांत्रिक सिद्धि प्राप्त करने के लिए यज्ञ एवं उपासना करते दिखाई देते हैं।


इस सिद्धपीठ के अंदर पश्चिम दिशा में बहुत बड़ा और गहरा कुंआ है। जो यहां आने वाले दर्शानार्थियों के मन धार्मिकता का गहरा भाव उत्पन्न करता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा स्थिति किसी भी प्रकार भूमिगत पानी का स्रोत गहरी धार्मिकता लाने में सहायक होता है। इन्हीं उपरोक्त वास्तुनुकूलताओं के कारण यह स्थान सिद्धपीठ के रुप में प्रसिद्धि पा गया और इसलिए देश भर के प्रमुख राजनेता सत्ता सुख पाने के लिए यहां आते हैं, आते रहे हैं और आते रहेगें।


- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा 
thenebula2001@yahoo.co.in

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!