Edited By Jyoti,Updated: 11 Mar, 2021 11:06 AM
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि पर्व वर्ष भर का बहुत ही बहुप्रतीक्षित त्यौहार है।
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फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि पर्व वर्ष भर का बहुत ही बहुप्रतीक्षित त्यौहार है। भगवान शिव की महिमा एवं शक्तियां अनंत है। उनकी विभूतियों से वेद पुराण आदि धर्म ग्रंथ परिपूर्ण हैं। भगवान शिव की कृपा प्राप्त होने पर मनुष्य अभय को प्राप्त हो जाता है। साथ ही इनकी आराधना करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के समस्त दुखों का नाश हो जाता है।
भगवान शिव की शक्ति हैं मां भगवती दुर्गा जिन्होंने पहले दक्ष प्रजापति की पुत्री सती जी के रूप में भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। अगले जन्म में हिमालय की पुत्री पार्वती जी के रूप में भगवान शिव को वर रूप में पाया। महाशिवरात्रि पर्व मां जगदम्बा पार्वती जी तथा शंकर जी के विवाह की रात्रि है तथा निराकार भगवान शिवजी के साकार शिवङ्क्षलग के रूप में प्रकट होने की रात्रि भी है।
जो परमानंदमय हैं, जिनकी लीलाएं अनन्त हैं, जो ईश्वरों के भी ईश्वर, सर्वव्यापक, महान, गौरी के प्रियतम तथा स्वामी काॢतक और विघ्नराज गणेश जी को उत्पन्न करने वाले हैं, उन आदि देव शंकर जी को मैं नमस्कार करता हूं। इस सम्पूर्ण जगत में भगवान शिव को प्रसन्न करना सब पापों को नाश करने वाला तथा परम गुणकारी है। एक बार पार्वती जी ने भगवान शिव शंकर से पूछा, ‘‘ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?’’
उत्तर में शिवजी ने पार्वती जी को ‘शिवरात्रि’ के व्रत का विधान बताया और यह कथा भी बताई कि किस प्रकार चित्रभानू नामक शिकारी ने शिकार की खोज में एक वृक्ष पर बैठ कर अनजाने में शिव पूजन किया। उस दिन महाशिवरात्रि थी और भोलेनाथ जी ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए। इस प्रकार उसे शिव कृपा प्राप्त हुई। कहने का अभिप्राय यह है कि भगवान शिव की भक्ति का साधारण नियम यही है कि मनुष्य अगर अहंकार भाव छोड़ कर समर्पण भाव से शिव आराधना कर लेता है तो उसका कल्याण निश्चित है। देवता, यक्ष, दानव, सिद्ध, ऋषि-मुनि तथा मनुष्य आदि समस्त चर अचर प्राणी सभी भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर निर्भय हो जाते हैं। भगवान शिव की कृपा से ही मार्कण्डेय जैसे सोलह वर्ष की अल्पायु प्राप्त बालक ने चिरंजीवी होने का वर प्राप्त कर लिया।