Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Aug, 2023 07:37 AM
सावन के महीने में सोमवार की तरह ही मंगलवार के दिन को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन के महीने में हर मंगलवार मंगला गौरी का व्रत
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Mangla Gauri Vrat 2023: सावन के महीने में सोमवार की तरह ही मंगलवार के दिन को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन के महीने में हर मंगलवार मंगला गौरी का व्रत रखने का विधान है। इस व्रत में माता पार्वती के मंगला स्वरूप की पूजा की जाती है। मां मंगला गौरी का व्रत अखंड सौभाग्य की प्रप्ति के लिए रखा जाता है। सावन महीने के सात मंगला गौरी व्रत बीत चुके है। आज 22 अगस्त 2023 को आठवां मंगला गौरी व्रत है। सावन के महीने में मंगला गौरी की पूरे विधि- विधान से पूजा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। आइए जानते हैं, मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि के बारें में
Significance of Mangala Gauri Vrat मंगला गौरी व्रत का महत्व
परिवार में सुख-शांति बनाए रखने और शादीशुदा जीवन में सभी कष्टों को दूर करने के लिए मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इसके अलावा जो महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना रखती हैं तो उनके लिए यह व्रत बहुत उत्तम और फलदायी रहता है।
Mangala Gauri Mantra मंगला गौरी मंत्र
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।
Mangala Gauri Aarti मंगला गौरी आरती
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता। जय मंगला गौरी।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी।
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
Mangala Gauri fast worship method मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
सावन में मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर व्रत का आरंभ करें। उसके बाद पति और पत्नी दोनों मिलकर विधि-विधान से माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। माता पार्वती को अक्षत, कुमकुम, फूल, फल, माला और 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। उसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें। उसके बाद मंगला गौर व्रत की कथा करके पूजा का समापन करें।