Margashirsha Amavasya: मार्गशीर्ष अमावस्या पर करें ये काम, पितृ होंगे प्रसन्न और राहु-केतु रहेंगे शांत

Edited By Updated: 20 Nov, 2025 07:05 AM

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Margashirsha Amavasya 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष (अगहन) अमावस्या 20 नवंबर 2025, गुरुवार को पड़ेगी। यह अमावस्या भगवान विष्णु, पितरों और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। शास्त्र कहते हैं कि मार्गशीर्ष मास स्वयं...

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Margashirsha Amavasya 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष (अगहन) अमावस्या 20 नवंबर 2025, गुरुवार को पड़ेगी। यह अमावस्या भगवान विष्णु, पितरों और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। शास्त्र कहते हैं कि मार्गशीर्ष मास स्वयं श्रीकृष्ण को प्रिय है, इसलिए इस माह में किया गया हर पुण्यकर्म कई गुना फल देता है।

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मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
इस दिन किया गया तर्पण, स्नान, दान और विष्णु उपासना जीवन से कष्टों का अंत करती है और पितरों की आत्मा को तृप्त कर मोक्ष मार्ग प्रदान करती है। ग्रंथों में कहा गया है कि पितरों के प्रसन्न होने से घर-परिवार में सुख, शांति और धन-समृद्धि का आगमन होता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों की तृप्ति क्यों अनिवार्य है?
अमावस्या पितृ तिथि मानी गई है। मान्यता है कि पितर इस दिन पृथ्वी पर अपने वंशजों की ओर देखते हैं और उनके द्वारा किए गए तर्पण, पिंडदान और अन्नदान को स्वीकार करते हैं। जब पितर संतुष्ट होते हैं, तो जीवन में अड़चनें घटती हैं, परिवार में स्वास्थ्य और सौभाग्य बढ़ता है।

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मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा-विधि
ब्रह्म मुहूर्त स्नान – पवित्र नदी, झील या कुएं में स्नान करें।
सूर्यदेव को अर्घ्य – स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें।
विष्णु पूजा – श्रीहरि को पीले पुष्प, तुलसी और पीली वस्तुओं से पूजें।
पाठ – विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा या गीता का पाठ शुभ फल देता है।
पितृ तर्पण – पूजा के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें।

मार्गशीर्ष अमावस्या पर तर्पण करने की सरल और शास्त्रीय विधि
स्थान पर गंगा जल छिड़क कर शुद्धि करें।
दीप जलाएं और अपने पितरों का फोटो दक्षिण दिशा में रखें।
काला तिल, कुशा और पुष्प जल में डालकर “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करें।
अंत में पितरों से क्षमा मांगकर कुटुंब की समृद्धि की कामना करें।

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मार्गशीर्ष अमावस्या पर किन वस्तुओं का दान करें?
मार्गशीर्ष अमावस्या में किया गया दान वर्गोत्तम माना जाता है। चावल, गेहूं, उड़द, काले तिल, कंबल, वस्त्र, ब्राह्मण भोजन, गौ-सेवा,
कौआ, कुत्ते और पक्षियों को भोजन करवाएं। ऐसा दान पितृदोष शांत करता है और राहु-केतु के कष्ट कम करता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन तर्पण और दान के लाभ
पितरों की कृपा, घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, स्वास्थ्य समस्याओं में सुधार, आर्थिक लाभ और बाधाओं का अंत, ग्रह दोषों से राहत मिलती है।

मार्गशीर्ष अमावस्या पर ध्यान रखने योग्य बातें
काले कपड़े न पहनें।
किसी भी जीव को हानि न पहुंचाएं।
मंदिर और घर की साफ-सफाई रखें।
तिल का दान अवश्य करें।

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