गुरुदेव श्री श्री रविशंकर: यीशु ‘प्रेम’ हैं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Dec, 2023 10:08 AM

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प्रेम का कोई नाम या रूप नहीं होता, फिर भी यह सभी नामों और रूपों में प्रकट होता है। प्रेम इस सृष्टि का सबसे बड़ा रहस्य है। इस संपूर्ण सृष्टि में ओतप्रोत प्रेम को देखने के लिए आपको गहन दृष्टि की आवश्यकता है।

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Merry Christmas 2023: प्रेम का कोई नाम या रूप नहीं होता, फिर भी यह सभी नामों और रूपों में प्रकट होता है। प्रेम इस सृष्टि का सबसे बड़ा रहस्य है। इस संपूर्ण सृष्टि में ओतप्रोत प्रेम को देखने के लिए आपको गहन दृष्टि की आवश्यकता है। जरा एक पक्षी को घोंसले में अपने बच्चे को खाना खिलाते हुए देखें। नन्हा पक्षी बस अपनी मां के आने की प्रतीक्षा करता है। यह प्रेम की अभिव्यक्ति है। मछलियों में, आकाश में, जल में और सम्पूर्ण धरती पर प्रेम है। बाह्य अंतरिक्ष में भी प्रेम है। प्रेम साहस के साथ आता है।

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आपको यीशु में प्रेम की संपूर्ण अभिव्यक्ति मिलेगी। प्रेम ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति है, फिर भी प्रेम हमें विनम्र बनाता है। जब हम प्रेम में होते हैं तो सर्वाधिक दुर्बल अनुभव करते हैं। इसीलिए यीशु ने मानव जाति से परिचित अवधारणाओं को उखाड़ फेंका। यह कहने के बजाय कि "शक्तिशाली लोग पृथ्वी के उत्तराधिकारी होंगे", उन्होंने कहा, "विनम्र लोगों को पृथ्वी विरासत में मिलेगी, विनम्र लोगों को स्वर्ग विरासत में मिलेगा।” उनमें यह कहने का साहस था क्योंकि प्रेम साहस से भर देता है।

आप यीशु की शिक्षाओं को तब तक नहीं समझ सकते जब तक आप जीवन शक्ति से भरे और संपन्न न हों। यीशु को समझने के लिए, हमें उनके साथ हृदय से जुड़ना होगा, उनकी उपस्थिति को अपने हृदय में अनुभव करना होगा। बुद्धि उन्हें समझ नहीं पाती। केवल आपका हृदय ही यीशु को जान सकता है। आप जानते हैं कि जहां अधिकार है, वहां प्रेम नहीं हो सकता और जहां प्रेम है, वहां अधिकार की आवश्यकता नहीं है। आप देखेंगे कि जो आपसे प्रेम करता है उसका आप पर अधिक अधिकार है। यीशु ने अपनी भुजाएं खोलीं और कहा, “आओ, तुम मेरे मित्र हो, डरो मत, मुझे वेदी पर मत चढ़ाओ। मुझे अपने हृदय में स्थान दो। तुम अपने चारों ओर जो कुछ भी देखते हो, उन सभी में मुझे देखो। हर किसी से उतना ही प्रेम करो जितना मैं तुमसे करता हूं, या जितना तुम मुझसे करते हो। इसे अपने आसपास उपस्थित सभी लोगों के साथ बांटों।” प्रेम के उस पूर्ण स्वरूप को देखने के लिए आपको और क्या चाहिए ?

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कैरोल की एक सुंदर पंक्ति कहती है, 'स्वर्गिक शांति में विश्राम करें'- इसका क्या अर्थ है ?
जब छोटा मन विशाल मन के आश्रय में होता है, तो वह स्वर्गिक शांति में विश्राम पाता है। छोटा मन एक बालक की तरह है, यह सदा चंचल और दुखी रहता है और कुछ न कुछ मांग करता रहता है। यह सदैव आश्रित रहता है। विशाल मन, मां के समान है। जब छोटा मन, विशाल मन से दूर हो जाता है तो इसका अंत उलझन और भ्रम में होता है। यह दुखी हो जाता है। लौटकर यह विशाल मन की ओर आता है और वहां उसे शांति मिलती है, राहत प्राप्त होती है। वहां छोटा मन, विशाल, सार्वभौमिक, ब्रह्मांडीय मन की गोद में स्वर्गिक शांति में विश्रांति पाता है। जहां मां और शिशु एक साथ हों, वह पवित्र है। जब मां और शिशु स्वर्गिक शांति में होते हैं तो यह ध्यान है।

आपको पहचानना होगा कि आप प्रेम नामक तत्त्व से बने हैं। आपमें से प्रत्येक व्यक्ति इस ग्रह पर एक विशेष उपहार है। आप एक क्रिसमस ट्री हैं। वर्ष के उस समय में जब अन्य सभी पेड़ पत्रविहीन होते हैं, आप अपनी सभी शाखाओं के साथ हरे-भरे होते हैं। याद रखें कि आप जो भी उपहार ले जा रहे हैं, वह आपके लिए नहीं, बल्कि आपके आस-पास के लोगों के लिए है। जो कोई आपके पास आए उसे अपना उपहार दें। ऐसा करें और आप देखेंगे कि आपकी सभी आवश्यकताओं का ध्यान कैसे रखा जाता है। 

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