Motivational Concept: परिस्थिति कैसी भी हो धैर्य न खोएं!

Edited By Updated: 21 Apr, 2022 01:37 PM

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बाल गंगाधर तिलक देश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें अंग्रेज सरकार ने मंडाले के कारागृह में 6 साल के लिए भेज

शास्त्रों की बात, जानें घर्म के साथ
बाल गंगाधर तिलक देश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें अंग्रेज सरकार ने मंडाले के कारागृह में 6 साल के लिए भेज दिया। दुख और यातना सहते-सहते उनके शरीर को व्याधियों ने घेर लिया था। ऐसे में ही उन्हें अपनी पत्नी की मृत्यु की खबर मिली।

उन्होंने अपने घर एक खत लिखा कि पत्नी की मृत्यु के समाचार से मन को धक्का तो जरूर लगा है। हमेशा आए हुए संकटों का सामना मैंने धैर्य के साथ किया है। लेकिन इस खबर से मैं थोड़ा उदास जरूर हो गया हूं। हम हिन्दू लोग मानते हैं कि पति से पहले पत्नी को मृत्यु आती है तो वह भाग्यवान है, उसके साथ भी ऐसा ही हुआ है। मृत्यु के समय मैं उनके करीब नहीं था इसका मुझे बहुत अफसोस है। होनी को कौन टाल सकता है? परन्तु मैं अपने दुख भरे विचार सुनाकर आप सबको और दुखी करना नहीं चाहता।

मेरी गैरमौजूदगी में बच्चों का ज्यादा दुखी होना स्वाभाविक है। उन्हें मेरा संदेशा पहुंचा दीजिए कि जो होना था वह हो चुका है। इस दुख से अपनी और किसी तरह की हानि न होने दें, पढऩे में ध्यान दें। मेरे माता-पिता के देहांत के समय मैं उनसे भी कम उम्र का था। संकटों की वजह से ही स्वावलंबी  बनने में सहायता मिलती है। दुख करने में समय का दुरुपयोग होता है। जो हुआ है उस परिस्थिति का धीरज से सामना करें।

अत्यंत कष्ट के समय पर भी पत्नी के निधन का समाचार एक कठिन परीक्षा के समान था, किन्तु बाल गंगाधर तिलक ने अपना धीरज न खोते हुए परिवार वालों को धैर्य बंधाया व इस परीक्षा को सफलता से पार किया।

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