Edited By Jyoti,Updated: 11 Apr, 2022 11:39 AM
संत बहलोल जिस राज्य में रहते थे, वहां का शासक बेहद लालची और अत्याचारी था। एक बार वर्षा अधिक होने के कारण कब्रिस्तान की मिट्टी बह गई। कब्रों में हड्डियां आदि नजर आने लगीं। बहलोल कुछ
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संत बहलोल जिस राज्य में रहते थे, वहां का शासक बेहद लालची और अत्याचारी था। एक बार वर्षा अधिक होने के कारण कब्रिस्तान की मिट्टी बह गई। कब्रों में हड्डियां आदि नजर आने लगीं। बहलोल कुछ खोपड़ियों को सामने रख उनमें से कुछ तलाश करने लगा।
उसी समय बादशाह की सवारी उधर आ निकली। राजा ने पूछा, बहलोल, भला इन मुर्दा खोपड़ियों में क्या तलाश कर रहे हो। बहलोल बोले-जहांपनाह, मेरे और आपके बाप-दादा इस दुनिया से जा चुके हैं। मैं खोज रहा हूं कि मेरे बाप की खोपड़ी कौन-सी है और आपके अब्बा हुजूर की कौन-सी है?
बादशाह ने हंसते हुए कहा, ‘‘बहलोल, क्या कभी मुर्दा खोपड़ियों में भी कुछ फर्क हुआ करता है, जो तुम इन्हें पहचान लोगे?’’
बहलोल बोले, ‘‘तो फिर हुजूर, चार दिन की झूठी दुनिया की चमक के लिए बड़े लोग मगरूर होकर गरीबों को छोटा क्यों समझते हैं?
बहलोल के ये शब्द बादशाह के दिल पर तीर की तरह असर कर गए। उस दिन से बादशाह ने जुल्म करना बंद कर दिया।’’