Edited By Jyoti,Updated: 07 May, 2022 04:49 PM
एक नेत्रहीन रोज शाम को सड़क के किनारे भीख मांगा करता था और जो थोड़े-बहुत पैसे मिल जाते, उसी से अपना गुजर-बसर करता था। एक शाम वहां से एक बड़े रईस गुजर रहे थे। उन्होंने अंधे को देखा तो उसकी हालत देखकर
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक नेत्रहीन रोज शाम को सड़क के किनारे भीख मांगा करता था और जो थोड़े-बहुत पैसे मिल जाते, उसी से अपना गुजर-बसर करता था। एक शाम वहां से एक बड़े रईस गुजर रहे थे। उन्होंने अंधे को देखा तो उसकी हालत देखकर बहुत दया आई। उन्होंने सौ रुपए का एक नोट उसके हाथ में रखा और आगे बढ़ गए।
जब उस अंधे व्यक्ति ने नोट को टटोला तो उसे बड़ा अजीब लगा। वह मन ही मन सोचने लगा कि भीख देने वाले उस आदमी ने उसके साथ ठिठोली की है क्योंकि उसे हद से हद पांच रुपए तक का ही नोट भीख में मिलता था जबकि वह नोट पांच रुपए के नोट से काफी बड़ा था।
उसे लगा कि किसी ने कागज का टुकड़ा उसके हाथ में थमा दिया है और उसने खिन्न होकर नोट को कागज समझ कर जमीन पर फैंक दिया। एक सज्जन पुरुष वहीं खड़े थे और यह दृश्य वे देख रहे थे। उन्होंने नोट को उठाया और अंधे व्यक्ति को देते हुए कहा कि यह सौ रुपए का नोट है।
सौ रुपए का नोट सुनते ही उसे बड़ी प्रसन्नता हुई और उस नोट से उसने अपनी आवश्यकताओं की पूॢत की। हम सब भी इसी तरह ज्ञान के अभाव में भगवान के अपार दान को भी समझ नहीं पाते।
हमेशा यही कहते रहते हैं कि हमारे पास कुछ नहीं है। हमें कुछ नहीं मिला है। हम साधन हीन हैं। जो नहीं मिला उसकी शिकायत करना छोड़कर हमें जो मिला है उसके महत्व को समझें। हमें मालूम पड़ेगा कि जो हम सबको मिला है वह कम नहीं है। जीवन में यदि हम अपनी प्राप्त उपलब्धियों को देखें तो हम निश्चय ही ईश्वर के शुक्रगुजार होंगे और जीवन से हमें कोई शिकायत नहीं होगी।