Edited By Sarita Thapa,Updated: 23 Sep, 2025 02:01 PM

एक राजा अपने गुरु के दर्शन करने उनके आश्रम पहुंचे। वहां उन्होंने कहा, “गुरु जी, मुझे कोई ऐसा प्रेरक वाक्य बताइए या राह दिखाइए जो महामंत्र बनकर न केवल मेरा बल्कि मेरे उत्तराधिकारियों का भी मार्गदर्शन करता रहे।”
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Motivational Story: एक राजा अपने गुरु के दर्शन करने उनके आश्रम पहुंचे। वहां उन्होंने कहा, “गुरु जी, मुझे कोई ऐसा प्रेरक वाक्य बताइए या राह दिखाइए जो महामंत्र बनकर न केवल मेरा बल्कि मेरे उत्तराधिकारियों का भी मार्गदर्शन करता रहे।”

गुरुजी ने उन्हें एक श्लोक लिखकर दिया जिसका अर्थ यह था, “मनुष्य को दिन व्यतीत हो जाने के बाद कुछ समय निकालकर यह चिंतन अवश्य करना चाहिए कि आज का मेरा पूरा दिन पशु के समान गुजरा या सत्कर्म करते हुए बीता। क्योंकि बिना समाज सेवा, परोपकार आदि के तो पशु भी अपना गुजारा प्रतिदिन करते हैं, जबकि मनुष्य का कर्तव्य तो अपने जीवन को सार्थक करना है।”

इस श्लोक का राजा पर इतना असर पड़ा कि उन्होंने इसे अपने सिंहासन पर लिखवा दिया। अब वह रोज रात को यह विचार करते कि उनका दिन अच्छे काम में बीता या नहीं। एक दिन अति व्यस्तता के कारण वह किसी की मदद नहीं कर पाए। रात को सोते समय दिन के कामों का स्मरण करने पर उन्हें याद आया कि आज उनके हाथ से कोई सद्कार्य नहीं हो पाया। वह बेचैन हो उठे। उन्होंने सोने की कोशिश की पर उन्हें नींद नहीं आई।
आखिरकार वह उठकर बाहर निकल गए। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक गरीब आदमी ठंड में सिकुड़ रहा है। उन्होंने उसे अपना दुशाला ओढ़ाया और फिर राजमहल में लौट आए। अब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि आज का दिन अच्छा बीता। उन्होंने सोचा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति नेक कार्य, सद्भावना व परोपकार को अपनी दिनचर्या में शामिल कर ले तो उसका जीवन अवश्य सार्थक हो जाएगा। यह सोचते हुए उन्हें नींद आ गई।
