Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Jun, 2022 10:14 AM
सच्चाई के दिन कभी नहीं लदते
सत्य और ईमान का रास्ता स्वर्ग में जाकर खत्म होता है। दुर्भाग्य है कि आज सत्यवादियों और
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सच्चाई के दिन कभी नहीं लदते
सत्य और ईमान का रास्ता स्वर्ग में जाकर खत्म होता है। दुर्भाग्य है कि आज सत्यवादियों और ईमानदारों का अकाल-सा पड़ गया है क्योंकि लोगों का विश्वास है कि अब ईमानदारी के दिन लद गए हैं।
वे तर्क देते हैं कि देखो टेढ़े-मेढ़े वृक्षों को यहां कोई नहीं छेड़ता और सीधे-सपाट वृक्ष हमेशा ही काटे जाते हैं।
थोड़ा सुख, बड़ी सजा
मेरा कहना है- सच्चाई के दिन कभी नहीं लदते। कीमती फर्नीचर हमेशा सीधी-सपाट लकड़ी का ही बनता है। टेढ़ी-मेढ़ी लकड़िया हमेशा चूल्हे में जलाने के काम आती हैं।
सर्दी में नहाने में, कर्ज के चुकाने में शुरू-शुरू में थोड़ा दुख तो होता है मगर बाद में बहुत आराम मिलता है। जहर खाकर मरने में, विषय भोग करने में और शराब का प्याला भरने में शुरू-शुरू में थोड़ा सुख तो होता है मगर बाद में बड़ी सजा भोगनी पड़ती है।
बुढ़ापा शुरू होने की पहचान
भारत दुनिया का सबसे बड़ा युवा राष्ट्र है परंतु मुझे लगता है कि भारत बुढ़ापे की दहलीज पर खड़ा है क्योंकि हमें आज भी अतीत की घटनाओं और कथाओं को सुनने-सुनाने में आनंद आता है। याद रखिए, जब मनुष्य बीते हुए समय को सुनने में आनंद लेने लगे तो समझ लेना बुढ़ापा शुरू हो गया है।
वाणी को लगाम दो
आप युवा दम्पति हैं तो मेरी एक नसीहत ध्यान में रखिए। वाणी को लगाम दो, कारण कि जीवन में अधिकतर संघर्ष इसी से होते हैं। वाणी वीणा का काम करे तब तो ठीक है मगर जब बाण का काम करने लगती है तो महाभारत मच जाता है।