Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Nov, 2025 11:52 AM

अहंकार मत करो
भगवान के सामने दीप जलाओ तो इस बात का अहंकार मत करना कि मैंने दीप जलाया। अरे तुम क्या दीप जलाओगे ? भगवान के समक्ष दो कुदरती दीप तो जलते ही रहते हैं। दिन में तो सूरज जलता और रात में चंद्रमा जलता है। तुम्हारा दीया सूरज और चांद का मुकाबला...
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अहंकार मत करो
भगवान के सामने दीप जलाओ तो इस बात का अहंकार मत करना कि मैंने दीप जलाया। अरे तुम क्या दीप जलाओगे ? भगवान के समक्ष दो कुदरती दीप तो जलते ही रहते हैं। दिन में तो सूरज जलता और रात में चंद्रमा जलता है। तुम्हारा दीया सूरज और चांद का मुकाबला तो नहीं कर सकता न, तो फिर अहंकार क्यों ? बस इतना ही विचार करना कि हे प्रभु, मैं नदी के जल से सागर को पूज रहा हूं, दीप से सूरज की आरती उतार रहा हूं। हे प्रभु, तेरा ही तुझको अर्पण कर रहा हूं।

बांटने वाले इंसान
आज कुछ लोगों के द्वारा धर्म के नाम पर, जाति और भाषा के नाम पर देश व दुनिया को बांटा जा रहा है। ऐसे बांटने वालों को मैं मुनि तरुणसागर चुनौती देता हूं कि ऐ बांटने वाले इंसानों, तुमने लकीर खींचकर जमीन को तो बांट दिया लेकिन मैं तुम्हारी शक्ति उस दिन मानूंगा, जिस दिन तुम आसमान में लकीर खींचकर दिखाओगे। जिस दिन तुम हवा बांटकर दिखाओगे कि यह हिन्दू की हवा है और यह मुसलमान की हवा है। अगर तुममें ताकत है तो जरा समय को हिन्दू और मुसलमान के बीच बांटकर दिखाओ।
दिलों को बदलो
कोई धर्म बुरा नहीं है बल्कि सभी धर्मों में कुछ बुरे लोग जरूर हैं, जो अपने स्वार्थों की खातिर धर्म की आड़ में अपने गोरखधंधे और नापाक इरादे जाहिर करते रहते हैं। अगर हम इन थोड़े से बुरे लोगों के दिलों को बदल सकें, उन्हें सही राह पर चला सकें और नेक इंसान बनकर जीना सिखा सकें, तो सच मानिए यह पूरी पृथ्वी स्वर्ग में तब्दील हो जाएगी। धर्म मरहम नहीं, बल्कि टॉनिक है। इसे बाहर मलना नहीं बल्कि पी जाना है। कितना बड़ा आश्चर्य है कि हम धर्म के लिए लड़ेंगे-मरेंगे लेकिन उसे जिएंगे नहीं।
