Mythological history of Vaishno Devi: श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ में मौजूद हैं सैंकड़ों वर्ष प्राचीन दुर्लभ हस्तलिखित ग्रंथ, पढ़ें पूरा वृतांत

Edited By Updated: 17 Nov, 2025 03:53 PM

mythological history of vaishno devi

Mythological history of Vaishno Devi: हिन्दू धर्म की एक मान्यता के अनुसार, सर्वशक्तिमान और भक्तों के लिए परम कल्याणकारी शक्ति ने स्वयं को त्रिकुटा पर्वत की ढलान पर स्थित एक गुफा में श्री माता वैष्णो देवी के पिंडी रूप में प्रकट किया है, जहां...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Mythological history of Vaishno Devi: हिन्दू धर्म की एक मान्यता के अनुसार, सर्वशक्तिमान और भक्तों के लिए परम कल्याणकारी शक्ति ने स्वयं को त्रिकुटा पर्वत की ढलान पर स्थित एक गुफा में श्री माता वैष्णो देवी के पिंडी रूप में प्रकट किया है, जहां प्रतिवर्ष 80 लाख से 1 करोड़ श्रद्धालु सामान्यत: प्रति वर्ष हाजिरी देते हैं। जम्मू के समीप त्रिकुटा पर्वतमाला में  स्थित इस महापवित्र गुफा का संबंध चाहे आज से लगभग 750 वर्ष पूर्व भक्त श्रीधर की एक कथा से जोड़ा जाता है, परंतु एक मान्यतानुसार विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद में भी इस त्रिकुटा पर्वतमाला के बारे में धार्मिक पक्ष से वर्णन किया गया है।

PunjabKesari Mythological history of Vaishno Devi
इतना ही नहीं, पौराणिक काल में भी इसका वर्णन मिलता है। जब कुरुक्षेत्र युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण ने पांडव पक्ष के प्रमुख योद्धा अर्जुन को आदिशक्ति मां भगवती से आशीर्वाद प्राप्त करने का आदेश दिया तो अर्जुन ने अपनी प्रार्थना में देवी को जम्बू (वर्तमान जम्मू) के समीप पर्वतों की ढलानों पर निवास करने वाली शक्ति के रूप में संबोधित किया। इससे स्पष्ट होता है कि पांडवों को उस समय भी त्रिकुटा पर्वतमाला में इस शक्ति की मौजूदगी का अहसास था।

पिंडी रूप देवी मां के चरणों में लगातार अमृत रूपी महापवित्र जल प्रवाहित होता रहता है। इसी ओजपूर्व महातेजस्वी गुफा में गणेश जी, भगवान शिव, सूर्यदेव तथा अन्य देवी-देवताओं के प्रतिबिंब प्राकृतिक रूप से विद्यमान हैं। मान्यतानुसार मां पार्वती की दिव्य आशीष का तेज भी यहां विद्यमान है और करोड़ों देवी-देवताओं की यह आराध्य हैं।

एक 750 वर्ष प्राचीन मान्य कथानुसार, कटड़ा के समीप भूमिका नामक स्थान पर देवी माता के भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें भक्त, साधुजन तथा आसपास के गांवों के लोग शामिल थे। जिस 7-8 वर्ष की एक दिव्य कन्या की प्रेरणा से भंडारे का आयोजन किया गया था, वह किसी कारण भंडारे के ही दौरान वहां से चली गई। इस हादसे से भक्त श्रीधर त्रस्त हो उठे। वह कई दिनों तक उस बालिका की तलाश में इधर-उधर इतना भटके कि उन्हें भूख-प्यास की भी सुध न रही।

आखिर उनकी अगाध श्रद्धा तथा अविचलित भक्ति देख कर मां भगवती ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर अपनी गुफा का मार्ग दिखाया।
पुराने समय में देवी का दर्शन काल कंधौली की पहाड़ियों के रास्ते से होते हुए फिर ‘देवां माई’ के प्राकृतिक नजारों से सटे पर्वतों से होकर ‘भूमिका मंदिर’ के ठहराव से शुरू होकर बाण गंगा के समीप बनी ‘दर्शनी ड्योढ़ी’ से जाता था। सन् 1986 में स्थापना के बाद से श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा यात्रा का संचालन किया जा रहा है।

PunjabKesari Mythological history of Vaishno Devi

हस्तलिखित धर्मग्रंथों का खजाना
श्री माता वैष्णो देवी श्राईन बोर्ड के पास भारत की प्राचीन महान धनाढ्य विरासत का अमूल्य खजाना सैंकड़ों वर्ष प्राचीन दुर्लभ श्रेणी की पांडुलिपियों (हस्तलिखित ग्रंथों) के रूप में मौजूद है। ये प्राचीन ग्रंथ अनेक भाषाओं, जो संस्कृत, हिन्दी गुरमुखी फारसी इत्यादि के अतिरिक्त कई अन्य भाषाओं में लिखे हैं, में शारदा लिपि जैसी विलुप्त श्रेणी की भाषाएं भी शामिल हैं।

सोने के पानी से भी लिखी हैं कुछ पांडुलिपियां
श्राईन बोर्ड के खजाने में मौजूद पांडुलिपियों की लेखनी इतनी आकर्षक है कि कम्प्यूटर प्रिंट भी शर्मसार हो जाए। इन पांडुलिपियों को लिखने व सजाने के लिए सोने के पानी का भी इस्तेमाल किया गया है जो इनका आकर्षण ही नहीं, बल्कि कीमत और दुर्लभता भी काफी बढ़ा देता है। कई वृतांत स्पष्ट करने के लिए इन ग्रंथों में मिनिएचर आर्ट पेंटिग्ज हैं, जो प्राकृतिक रंगों से बनाई गई आकर्षक कृतियां हैं।

श्राइन बोर्ड के पास मौजूद धर्मग्रंथों में आदिशक्ति की उपासना पर आधारित श्री मार्कंडेय पुराण, देवी कवचम, चंडी पूजा के अलावा हिंदू धर्म के आधार वेद और पुराणों के भाग शामिल हैं। इनमें युजर्वेद का शिव पूजा का भाग रुद्राभिषेक भी शामिल है।

यूनैस्को वल्र्ड हैरीटेज में शामिल ग्रंथों में से श्रीमद्भगवद् गीता तथा रामचरित मानस की पांडुलिपियों के भाग के साथ अनेक ग्रंथ खगोल शास्त्र, आयुर्वेद, ज्योतिष और संस्कृत व्याकरण पर आधारित हैं। विशिष्ठ कागज, ताड़ के पत्तों व हस्तनिर्मित कागजों का इन्हें लिखने में इस्तेमाल किया गया है तथा प्राकृतिक रंगों से बनी स्याही से लिखी अति आकर्षक लेखनी इन ग्रंथों का आकर्षण और बढ़ा देती है।
श्राइन बोर्ड के पास रखे इन ग्रंथों की संख्या लगभग 380 है, जिनमें करीब 35,000 हस्तलिखित पन्ने हैं। ये ग्रंथ लगभग 150 से 460 वर्ष प्राचीन हैं, जो प्राचीन भारत के ज्ञान के स्तर को प्रकट करने के साथ-साथ इस देश के वैभव और कला के स्तर का भी प्रमाण है।

PunjabKesari Mythological history of Vaishno Devi

 

 

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!