Narasimha Jayanti: आपके हर कष्ट और शत्रुओं का सर्वनाश कर देगा नरसिंह जयंती पर किया गया ये अनुष्ठान

Edited By Updated: 10 May, 2025 06:46 AM

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Narasimha Jayanti 2025: 11 मई को वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस दिन नरसिंह जयंती का पर्व मनाए जाने का विधान है। विष्णु पुराण में बताया गया है अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने दस अवतार धारण किए हैं। नरसिंह रुप दस...

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Narasimha Jayanti 2025: 11 मई को वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस दिन नरसिंह जयंती का पर्व मनाए जाने का विधान है। विष्णु पुराण में बताया गया है अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने दस अवतार धारण किए हैं। नरसिंह रुप दस अवतारों में से चौथा अवतार है। इस अद्भुत अवतार में भगवान विष्णु आधे शेर और आधे मानव के रूप में हैं। उनका चेहरा और पंजे सिंह यानि शेर की तरह हैं और शरीर का बाकी हिस्सा मानव की भांति दिखता है। नरसिंह जयंती पर किया गया अनुष्ठान 1000 यज्ञों के बराबर का पुण्य प्रदान करता है। शत्रुओं का सर्वनाश करता है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। जानते हैं नरसिंह जयंती पर अनुष्ठान की विधि-

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Narasimha Jayanti Story नृसिंह जयंती कथा: पौराणिक कथा के अनुसार श्री विष्णु के वराह अवतार में हरिण्याक्ष के वध से क्रोधित हिरण्यकश्यप ने भाई की मृत्यु का बदला विष्णु जी से लेने के लिए ब्रह्मदेव का कठोर तप करके उनसे अजय होने का वरदान प्राप्त किया और स्वर्ग पर अधिपत्य स्थापित करके तीनों लोकों पर स्वामित्व बना लिया। हिरण्यकश्यप अपनी शक्ति के अहंकार में प्रजा पर भी अत्याचार करने लगा। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद अपने पिता से पूर्णतः अलग था। वो बचपन से ही विष्णु भगवान का भक्त था।

हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद का मन विष्णु भगवान की भक्ति से हटाने का बहुत प्रयास किया परंतु असफल रहा। क्रोधित हिरण्यकश्यप ने एक द्वार से सटे खंबे से प्रह्लाद को बांधकर खंबे पर अपने गदा से प्रहार किया। तभी खंभे को चीरकर नृसिंह देव प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप को उठाकर महल की दहलीज पर ले आए। नरसिंह भगवान ने उसे अपनी गोद में लिटाकर अपने नाखूनों से उसका सीना चीरकर वध कर दिया। वध का स्थान न दहलीज था न घर के भीतर था, न बाहर, नरसिंह जी की गोद थी। न धरती थी न ही आकाश, उस समय गोधुलि बेला थी यानी न दिन था और न रात। नरसिंह जी आधे मानव व आधे पशु थे, नृसिंह जी के नाखून थे, न अस्त्र और न ही शस्त्र था।

अतः यह दिन नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान नृसिंह के निमित व्रत, पूजन व उपाय से हर कष्ट और शत्रुओं का सर्वनाश होता है। सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, समस्त दुखों का निवारण होता है तथा दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।

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Narasimha Jayanti Puja Vidhi नृसिंह जयंती पूजा विधि: घर के पश्चिम में नीले कपड़े पर नरसिंह देव का चित्र स्थापित करके पंचोपचार पूजन करें। सरसों के तेल का दीपक करें, लोहबान धूप करें, बरगद के पत्ते चढ़ाएं, काजल चढ़ाएं, नारियल, बादाम व मिश्री चढ़ाएं, उड़द की खिचड़ी का भोग लगाएं व एक माला इस विशिष्ट मंत्र की जपें। पूजन के बाद भोग को पीपल के नीचे रख दें।

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Narasimha Jayanti Puja Mantra नृसिंह जयंती पूजा मंत्र: ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः॥

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Narasimha Jayanti vrat vidhi कैसे करें नृसिंह जयंती व्रत
इस दिन प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निपटकर भगवान विष्णु जी के नृसिंह रूप की विधिवत धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प एवं फलों से पूजा एवं अर्चना करनी चाहिए तथा विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। सारा दिन उपवास रखें तथा जल भी ग्रहण न करें। सांयकाल को भगवान नृसिंह जी का दूध, दही, गंगाजल, शहद, चीनी के साथ ही गाय के मक्खन अथवा घी आदि से अभिषेक करने के पश्चात चरणामृत लेकर फलाहार करना चाहिए।

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Narasimha Jayanti Remedies नृसिंह जयंती उपाय
मनोकामनाओं को पूरा करने हेतु भगवान नरसिंह पर चढ़ा शहद भिखारी को दान करें।
सभी दुखों के नाश हेतु लाल वस्त्र में बंधा नारियल भगवान नरसिंह पर चढ़ाएं।
दुर्घटनाओं से सुरक्षा के लिए 8 नींबूओं पर सिंदूर लगाकर भगवान नरसिंह पर चढ़ाएं।

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