Edited By Sarita Thapa,Updated: 17 May, 2025 07:01 AM

Narsinh Mehta Inspirational Story: भगवान श्रीकृष्ण के महान भक्तों में एक नरसी मेहता अपना सब कुछ दान करने के बाद जब साधु-संतों के साथ तीर्थयात्रा कर रहे थे तो उनकी मुलाकात कुछ याचकों से हुई।
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Narsinh Mehta Inspirational Story: भगवान श्रीकृष्ण के महान भक्तों में एक नरसी मेहता अपना सब कुछ दान करने के बाद जब साधु-संतों के साथ तीर्थयात्रा कर रहे थे तो उनकी मुलाकात कुछ याचकों से हुई। चूंकि भक्त नरसी अपना सर्वस्व दान कर ही चुके थे, इसलिए वह धन देने में समर्थ नहीं थे।

आखिरकार उन्हें एक उपाय सूझा। वह एक साहूकार के पास गए और अपनी मूंछ का एक बाल उसके पास गिरवी रख आए। उस जमाने में मूंछ के बाल को भी प्रतिष्ठा और सत्यनिष्ठा का प्रतीक समझा जाता था। साहूकार ने उन्हें मूंछ के बाल के बदले कर्ज दे दिया। नरसी ने वह पूरा धन याचकों को दे दिया। इस घटना को जब एक व्यक्ति ने देखा तो उसे लालच हो गया। वह भी इसी तरीके से धन पाना चाहता था।
मौका देखकर वह उसी साहूकार के पास गया और बोला, “मुझे भी मूंछ के बाल के बदले उतना ही धन दे दीजिए जितना कि आपने नरसी को दिया था।”
साहूकार ने सहमति जता दी। उसने मूंछ का बाल मांगा। व्यक्ति ने मूंछ का बाल दिया, लेकिन साहूकार संतुष्ट नहीं हुआ।

उसने कहा, “यह बाल सीधा नहीं है, इसमें अमुक कमी है। कोई दूसरा दीजिए।” धन के लोभ में वह व्यक्ति मूंछ के बाल उखाड़ कर देता रहा और साहूकार कमियां निकालता रहा।
आखिर उस व्यक्ति ने पूछा, “मुझे मूंछ का बाल तोड़ने में जो दर्द हो रहा है उसका आपको अंदाजा भी नहीं है। मेरी आंखों में आंसू आ गए हैं।”
साहूकार ने कहा कि मित्र, तुम्हारी मूंछ का बाल इस योग्य ही नहीं कि मैं उसे गिरवी रख कर एक फूटी कौड़ी भी दे दूं। मैंने नरसी को भी इसी तरह परखा था परन्तु उन्होंने अपनी तकलीफ की परवाह नहीं की। उनके लिए तो याचकों का अभाव ही सबसे बड़ा दर्द था। इसलिए मैंने उसके मूंछ के बाल के बदले धन दे दिया।
