Nautapa 2025: नौतपा में करें इन श्लोकों का चमत्कार, खुलेंगे सकारात्मक ऊर्जा के द्वार

Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 May, 2025 12:08 PM

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ज्योतिष और धर्मशास्त्र में नौतपा का विशेष महत्व है। नौतपा नौ दिन सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ आरंभ होते हैं और ये नौ दिन अत्यंत गर्म एवं ऊर्जायुक्त माने जाते हैं। मान्यता है कि इस दौरान सूर्य अपनी चरम स्थिति में होता है

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 Nautapa 2025: ज्योतिष और धर्मशास्त्र में नौतपा का विशेष महत्व है। नौतपा नौ दिन सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ आरंभ होते हैं और ये नौ दिन अत्यंत गर्म एवं ऊर्जायुक्त माने जाते हैं। मान्यता है कि इस दौरान सूर्य अपनी चरम स्थिति में होता है, जिससे प्रकृति में तीव्र ऊर्जा संचार होता है। इन दिनों में विशेष मंत्र, श्लोक और साधनाओं का फल बहुत शीघ्र प्राप्त होता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि नौतपा के दौरान किन पांच विशेष श्लोकों का पाठ करने से घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, मन शांत रहता है, और जीवन में सुख-शांति आती है।

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इन श्लोकों का करें पाठ 

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहो न स्यात् कर्म ते मङ्गलो न हि।।

 इसका अर्थ है: तुम्हारे अधिकार केवल कर्म करने में हैं, फल में नहीं। कर्म के फल की चिंता न करो, न ही अकर्म में आसक्त हो। क्योंकि अकर्म फल नहीं है, कर्म मंगल है। नौतपा के दौरान इस श्लोक का पाठ करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होगी। कम से कम 11 बार इसका जाप करें। 

यत्र नात्यासने रमन्ते, तत्र देवता रमन्ते
इसका अर्थ है जहां स्त्रियां पूजित होती हैं, वहां देवता निवास करते हैं। यह श्लोक मनुस्मृति और महाभारत में भी पाया जाता है. इसका मतलब है कि जहां महिलाओं को सम्मान और पूजा मिलती है, वहां देवताओं की कृपा होती है और सभी कर्म सफल होते हैं। पूरे 9 दिन इसका जाप करने से घर में सुख-शांति का माहौल बना रहता है और यदि किसीअ तरह का कलह-कलेश चल रहा है उससे भी मुक्ति मिलती है। 

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नाम कामतरु काल कराला। सुमिरत समन सकल जग जाला।
रामायण का यह श्लोक इतना शक्तिशाली है, इसका जाप करने से व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान मिलता है और करियर में दिन दोगुनी, रात चौगुनी तरक्की देखने को मिलती है। 21 बार कम से कम इसका जाप करें। 

बुद्धि कर्मानुसारिणी एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अर्थ है बुद्धि कर्मों के अनुसार कार्य करती है। इसका तात्पर्य यह है कि व्यक्ति की बुद्धि, उनके पूर्व कर्मों और भाग्य से प्रभावित होती है। इसका उपयोग बुद्धि के कार्य करने के तरीके और कर्मों के प्रभाव को समझाने के लिए किया जाता है।  इसका पाठ करने से व्यक्ति का दिमाग बहुत तेज हो जाता है। 

विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च: यह उपनिषदों का श्लोक है। इसका जाप करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और करियर में मनचाही सफलता मिलती है। 

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