Nirjala Ekadashi vrat niyam: निर्जला एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, नहीं तो पछताना पड़ेगा जीवन भर

Edited By Updated: 23 May, 2025 07:00 AM

nirjala ekadashi vrat niyam

Nirjala Ekadashi vrat niyam: हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। सभी 24 एकादशियों में से निर्जला एकादशी का व्रत काफी खास और कठिन माना जाता है। तभी इसे साल की सबसे बड़ी एकादशी भी कहा जाता है।

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Nirjala Ekadashi vrat niyam: हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। सभी 24 एकादशियों में से निर्जला एकादशी का व्रत काफी खास और कठिन माना जाता है। तभी इसे साल की सबसे बड़ी एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी और बड़ी ग्यारस जैसे नामों से भी जाना जाता है। इस व्रत को करने से जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और श्री हरि के कृपा से आपके घर में सुख समृद्धि का वास होता है। साल 2025 में निर्जला एकादशी 06 जून दिन शुक्रवार को पड़ रही है। शास्त्रों में निर्जला एकादशी के नियम बताए गए हैं। इस दिन व्रती द्वारा की गई कुछ गलतियां व्रत को निष्फल कर सकती हैं। तो आइए जानते हैं कि निर्जला एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए।

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निर्जला एकादशी के दिन झाड़ू-पोछा नहीं करना चाहिए। इससे चींटी सहित कई सूक्ष्म जीवों की हत्या का दोष लगता है। ऐसे में आप इस दिन झाड़ू पोछा न लगाएं। हो सके तो एक दिन पहले ही घर की सफाई कर लें।

निर्जला एकादशी के व्रत में ब्रश और दंतमंजन नहीं करना चाहिए, चूंकि इनमें कई तरह के रसायन होते हैं। जिससे आपका व्रत टूट जाता है। इस दिन दांत साफ सादे पानी से ही करने चाहिए। आप चाहे तो गर्म पानी से 12 बार कुल्ला या फिर उंगली से दांत साफ कर सकते हैं या फिर जामुन के पत्ते से दांत साफ कर सकते हैं। इससे दांत साफ हो जाते हैं। लेकिन भूलकर भी इस दिन ब्रश, कॉलगेट, दंतमंजन या अन्य किसी केमिकल का प्रयोग न करें इससे आपका व्रत सुबह की टूट जाएगा।

निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे व्रती को इस दिन जल और अन्न का सेवन करने से बचना चाहिए और श्री हरि का निरंतर जाप करना चाहिए।

इस दिन देर तक सोने की मनाही होती है इसलिए इस दिन सूर्योदय से पहले ही उठ जाना चाहिए और रात को भी जागकर जागरण करना चाहिए।

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निर्जला एकादशी के दिन तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि इस दिन तुलसी देवी भी निर्जला व्रत रखती है और निर्जला एकादशी के दिन तुलसी को जल अर्पित करने से व्रत खंडित हो जाता है। ऐसे में इस दिन न तो तुलसी को जल दें न स्पर्श करें और न ही पत्ते तोड़ें। वरना मां लक्ष्‍मी और नारायण आपसे नाराज हो जाते हैं।

इस दिन नमक का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस दिन नमक खाने से एकादशी व्रत और बृहस्पति का फल नष्ट हो जाता है।

एकादशी के दिन चावल खाने की भी मनाही होती है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने वाला जातक अगले जन्म में कीड़े- मकोड़े के रूप में जन्म लेता है।

एकादशी के दिन मसूर की दाल, मूली, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, गोभी और सेम का सेवन भी नहीं करना चाहिए। निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं, तो व्रत से एक दिन पहले दशमी तिथि के दिन से ही अपने भोजन में इन चीजों को शामिल न करें।

इसके अलावा एकादशी के दिन तामसिक चीजों मांस-मदिरा का सेवन करने की गलती बिल्कुल भी न करें। फिर चाहे आपने व्रत न भी रखा हो फिर भी इस तामसिक चीजों से दूरी बनाकर रखें। साथ ही एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाए, न ही नाखून काटें। 

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