Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 May, 2025 06:37 AM
Online Photo Safety: संवेदनशील जगहों के आस-पास तस्वीरें लेते हुए रहिए खास सतर्क। हाल ही में पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देने के आरोप में हाल में कई गिरफ्तारियां हुई हैं, जिनमें ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा भी शामिल है। कथित तौर पर इस यू-ट्यूबर ने...
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Online Photo Safety: संवेदनशील जगहों के आस-पास तस्वीरें लेते हुए रहिए खास सतर्क। हाल ही में पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देने के आरोप में हाल में कई गिरफ्तारियां हुई हैं, जिनमें ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा भी शामिल है। कथित तौर पर इस यू-ट्यूबर ने संवेदनशील जगहों की जानकारी के साथ कई और चीजें भी पाकिस्तानी इंटैलीजैंस के साथ शेयर कीं। खुफिया एजैंसियों का आरोप है कि ज्योति का ट्रैवल सिर्फ कंटैंट के लिए नहीं था, बल्कि यह सिक्योरिटी ब्रीच का मामला है। उसके पास पड़ोसी देश के इंटैलीजैंस से जुड़े लोगों के नंबर भी मिले हैं।
ज्योति पर जांच चल रही है और वह फिलहाल पुलिस रिमांड में है। उसका मामला अलग रखें तो भी कई बार अनजाने में ही लोग ऐसी जानकारियां सार्वजनिक कर देते हैं, जिनका गलत इस्तेमाल हो सके या जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन जाएं।
राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध से मतलब किसी भी ऐसी घटना से है, जिसमें आरोपी ने सैंसिटिव डाटा लीक किया हो, उसे दुश्मन देश से शेयर किया हो या फिर कुछ भी ऐसा किया हो, जिससे देश की संपत्ति, लोगों या एकता में दरार आने का डर हो। कई बार लोग अनजाने में ही ऐसी जगहों का डाटा या जानकारी सोशल मीडिया पर डाल देते हैं, जहां से आतंकियों या गलत मंसूबे रखने वाले उसका फायदा उठा सकते हैं। यह डर अब बढ़ चुका है, जबकि लोग लगातार यात्राएं कर रहे हैं और तस्वीरें, वीडियो भी सार्वजनिक कर रहे हैं।

कब होता है खतरा
कुछ जगहें हैं, जो सिक्योरिटी के लिहाज से संवेदनशील मानी जाती हैं, जैसे सेना के ठिकाने, हवाई अड्डे का रनवे, नेवी के जहाज या आर्मी की ट्रेनिंग से जुड़ी चीजें।
न्यूक्लियर सैंटर से जुड़ी चीजें, प्लानिंग या मॉडल भी शेयर नहीं किए जा सकते। यहां तक कि इससे जुड़े वैज्ञानिकों की जानकारी भी शेयर करना इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 के तहत अपराध है। तस्वीरों के अलावा अगर कोई खुद बनाया हुआ स्कैच भी डाले, जिसमें इनसे जुड़ी कोई जानकारी हो, तब भी यही मामला बनता है।
बिना अनुमति सरकारी इमारतों की रिकॉर्डिंग भी शक का आधार बन सकती है, खासकर इमारत अगर सीमा चौकियों, राडार स्टेशन या ऐसी गतिविधि से जुड़ी हों, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील होती हैं।
इसी तरह से बॉर्डर इलाके में भी तस्वीरें लेते या वीडियो बनाते हुए खास एहतियात बरतनी चाहिए। खासकर भारत-पाकिस्तान, भारत-बंगलादेश या भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में फोटोग्राफी करते समय खास सावधानी जरूरी है। ऐसे इलाकों में बी.एस.एफ. या सुरक्षा एजैंसियों से इजाजत जरूरी लेनी चाहिए।

कैसे पहचानें सैंसिटिव जोन
जब भी किसी जगह पर फोटोग्राफी प्रतिबंधित या ‘नो ड्रोन जोन’ जैसे निर्देश लिखें हों, वहां रुक जाना बेहतर है। कई बार सेना या सुरक्षा एजैंसियां खुद रोकती हैं। ऐसे में एडवैंचर के लिए भी तस्वीरें लेना भारी पड़ सकता है। कई जगहें इसलिए भी पाबंदीशुदा होती हैं, क्योंकि वहां वी.वी.आई.पी. रहते हैं या फिर ऐसी जनजातियां रहती हैं, जिन्हें प्रोटैक्शन की जरूरत हो। मसलन, अंडमान-निकोबार की नॉर्थ सैंटिनल जनजाति को बचाने के लिए एक खास द्वीप को प्रतिबंधित जोन बना दिया गया। यहां जाने की कोशिश में कई यू-ट्यूबर हिरासत में भी लिए जा चुके हैं।

अनजाने में गलती कर जाते हैं
अक्सर पर्यटक संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं या स्थानीय नियमों से अनजान होते हैं। लद्दाख में कुछ पर्यटकों ने सेना के काफिले की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालीं, फिर सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था। बाद में उन तस्वीरों को हटा दिया गया और टूरिस्ट भी छोड़ दिए गए।
कुछ ऐसे मामले भी आते हैं, जिनमें आम लोग अनजाने ही ऐसे लोगों से मेलजोल कर बैठते हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा हों। ऐसे में भी ट्रैप होने का डर रहता है। ऐसा एक बड़ा मामला फिल्म डायरैक्टर महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट से जुड़ा हुआ था। राहुल की मुलाकात डेविड हैडली से हुई जिसने खुद को पूर्व अमरीकी सैनिक की तरह पेश किया और घुलता-मिलता रहा। बाद में पता लगा कि हैडली तो आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयब्बा का जासूस था और मुंबई हमलों में शामिल था। राहुल की भी जांच हुई लेकिन वह निर्दोश साबित हुए।

क्या है कानून
मुख्य कानून ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 है। इसकी धारा 3 और 5 के तहत प्रतिबंधित जगहों की तस्वीरें, योजनाएं या मॉडल शेयर करने पर लंबी सजा हो सकती है।
भारतीय न्याय संहिता में आर्म्ड फोर्सेस एक्ट के तहत भी धाराएं लागू हो सकती हैं। इनमें देशद्रोह का केस भी बनता है।
बिना अनुमति किसी संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने पर ट्रैसपास का मामला दायर हो सकता है। अगर जगह सैंसिटिव जोन में हो तो बात गंभीर हो जाएगी।
हवाई अड्डों और एयरफोर्स बेस के पास फोटोग्राफी पर रोक है। इसका उल्लंघन करने वालों पर एयरक्राफ्ट रूल्स, 1937 लागू होता है।
अगर कोई पर्यटक या रिसर्चर ड्रोन्स से शूट करना चाहे तो उसे अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम रूल्स, 2021 के तहत डी.जी.सी.आई. से अनुमति लेनी होती है। बता दें कि रैड जोन में बिना अनुमति ड्रोन उड़ाना गैरकानूनी है।
