Edited By Lata,Updated: 07 Aug, 2019 02:42 PM
सावन का जब पवित्र माह खत्म होता है, वैसे ही व्रत-त्योहार शुरू हो जाते हैं। अगस्त के महीने में ही जन्माष्टमी और रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है।
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सावन का जब पवित्र माह खत्म होता है, वैसे ही व्रत-त्योहार शुरू हो जाते हैं। अगस्त के महीने में ही जन्माष्टमी और रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है। भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षा बंधन बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। हर बहन को इसका इंतजार रहता है, ताकि वह अपने भाईयों से मनचाहा उपहार पा सके। लेकिन क्या आपको पता है कि राखी बांधते समय कुछ पारंपरिक बातों का ख्याल रखा जाता है। तो ऐसे में अगर आप भी इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपके लिए बहुत ही फलदायी होगा।
प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनें जाते हैं।
घर को साफ करें और चावल के आटे का चौक पूरकर मिट्टी के छोटे से घड़े की स्थापना करें। इसके साथ ही चावल, कच्चे सूत का कपड़ा, सरसों, रोली को एकसाथ मिलाएं। फिर पूजा की थाली तैयार कर दीप जलाएं। उसमें मिठाई रखें।
इसके बाद भाई को पीढ़े पर बिठाएं, लेकिन ध्यान रहे कि उसका मुंह पूर्व दिशा की ओर ही हो और भाई का तिलक लगाते और राखी बांधतें समय बहन का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, रक्षा सूत्र बांधते समय इस मंत्र का जाप करने से अधिक फल मिलता है। मंत्र- 'येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचलः'
राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें फिर भाई को मिठाई खिलाएं।
अगर बहन बड़ी हो तो छोटे भाई को आशीर्वाद दें और यदि छोटी हो तो बड़े भाई को प्रणाम कर आशीर्वाद पाएं।
आजकल लोग सोफे व कुर्सी पर बैठकर राखी बंधवा लेते हैं। यह उचित नहीं है, राखी बंधवाते समय पीढ़े पर ही बैठें। इससे शुद्धिकरण होता है और अच्छा प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं व्यक्ति चुंबकीय रेखाओं से मुक्त हो जाता है।