Ramayana story: जब हनुमान जी फंसे राक्षस के मायाजाल में...

Edited By Updated: 31 Aug, 2023 09:51 AM

ramayana story

लक्ष्मण जी की चिकित्सा के लिए हनुमान जी लंका से सुषेण वैद्य को सोते हुए ही घर सहित उठा लाए। सुषेण ने कहा, ‘‘हिमाचल के द्रोणाचल शिखर पर संजीवनी बूटी नामक औषधि

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ramayana story: लक्ष्मण जी की चिकित्सा के लिए हनुमान जी लंका से सुषेण वैद्य को सोते हुए ही घर सहित उठा लाए। सुषेण ने कहा, ‘‘हिमाचल के द्रोणाचल शिखर पर संजीवनी बूटी नामक औषधि है। उसे सुबह होने से पहले ही ले आना चाहिए। तभी इनके प्राण बच सकते हैं।’’

उनकी बातें सुनकर सबने आशा भरी आंखों से हनुमान जी की ओर देखा। वह तुरंत ही द्रोणाचल जाने के लिए तैयार हो गए। रावण ने सोचा कि किसी प्रकार हनुमान की यात्रा में विघ्न डाला जाए, ताकि वह औषधि लेकर समय से न लौट सकें।

PunjabKesari Ramayana story

वह कालनेमि राक्षस के पास गया तथा उससे कहा, ‘‘तुम ऐसी माया रचो कि लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए औषधि लेकर हनुमान समय से लौट न सकें।’’

रावण की बातें सुनकर कालनेमि ने कहा, ‘‘राम के दूत हनुमान को माया से मोहित कर पाने में कोई भी समर्थ नहीं है। मैं ऐसा प्रयत्न करूंगा तो मुझे निश्चित रूप से मृत्यु के मुंह में जाना होगा।’’

उसकी बातें सुनकर रावण बहुत क्रोधित हो उठा। उसने कहा, ‘‘कालनेमि! यदि तुम मेरी बात नहीं मानोगे तो तुम्हें मेरे ही हाथ से मरना होगा।’’

कालनेमि ने सोचा कि जब मरना ही है तो मैं हनुमान के हाथों क्यों न मारा जाऊं?

यह सोचकर उसने उनके मार्ग में एक बहुत ही सुन्दर आश्रम का निर्माण किया। स्वयं मुनि का वेश बनाकर उस आश्रम से बैठ गया। हनुमान जी जब उस आश्रम के पास पहुंचे तब उन्हें बड़े जोरों की प्यास लगी।

PunjabKesari Ramayana story

मुनि का सुन्दर आश्रम देखकर उन्होंने सोचा कि यहां जल पी लूं। वह शीघ्र ही कपटी मुनि कालनेमि के आश्रम में जा पहुंचे। उसको प्रणाम करके उन्होंने कहा, ‘‘मुनिवर ! मुझे बड़े जोर की प्यास लगी है, यहां जल कहां मिल सकेगा?’’

कपटी कालनेमि ने कहा, ‘‘रामदूत हनुमान ! मैं तुम्हें जानता हूं। तुम श्री रामचंद्र जी के प्यारे भ्राता श्री लक्ष्मण जी के लिए औषधि लाने द्रोणाचल जा रहे हो। मेरे इस कमंडल में बढ़िया शीतल जल भरा है। तुम इसे पीकर अपनी प्यास बुझा लो।’’

हनुमान जी ने कहा, ‘‘थोड़े जल से मेरी प्यास नहीं बुझेगी। आप मुझे कोई जलाशय बता दीजिए।’’

कालनेमि ने उन्हें एक सुन्दर जलाशय दिखाते हुए कहा, ‘‘तुम वहां जाकर अपनी प्यास बुझा लो और स्नान भी कर लो। इसके बाद मैं तुम्हें दीक्षा दूंगा।’’

उसकी बातें सुनकर हनुमान जी शीघ्र ही उस जलाशय के पास पहुंच गए। स्नान करने के लिए  ज्यों ही वह उसके भीतर गए, त्यों ही एक मकरी ने उनका पैर पकड़ लिया। हनुमान जी ने तुरंत ही उसका मुंह फाड़कर उसे मार डाला। हनुमान जी द्वारा मारे जाते ही वह मकरी दिव्य अप्सरा का वेश धारण कर विमान में बैठकर आकाश में पहुंच गई।

PunjabKesari Ramayana story

उसने हनुमान जी से कहा, ‘‘पवन पुत्र हनुमान ! एक मुनि के श्राप के कारण मुझे मकरी बनना पड़ा था। हे रामदूत ! तुम्हारे दर्शन से आज मैं पवित्र हो गई। मुनि का श्राप मिट गया। आश्रम में बैठा हुआ यह मुनि कपटी घोर निशाचर है।’’

उस अप्सरा की बात सुनकर हनुमान जी तुरंत कालनेमि के पास जा पहुंचे तथा कहा, ‘‘मुनिवर ! आप पहले मुझसे गुरु दक्षिणा ले लीजिए। मंत्र आप मुझे बाद में दीजिएगा।’’

यह सुन कर उसको अपनी पूंछ में लपेट लिया और पटककर मार डाला। मरते समय कालनेमि ने अपना असली राक्षस का रूप प्रकट कर दिया। मुख से ‘राम-राम’ कहा। इस प्रकार राम नाम लेने से उसका उद्धार हो गया। 
 

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!