जानें, सावन में रुद्राभिषेक करने के क्या हैं फायदे ?

Edited By Updated: 30 Jul, 2019 01:45 PM

rudrabhishek in sawan

सावन के पवित्र माह में हर दिशा शिवमय हो रही है, यानि हर जगह से शिव नाम के जयकारें सुनने को मिल रहे हैं।

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सावन के पवित्र माह में हर दिशा शिवमय हो रही है, यानि हर जगह से शिव नाम के जयकारें सुनने को मिल रहे हैं। इस दौरान भोलेबाबा को खुश करने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। जैसे कि शिवलिंग पर जल, गंगाजल, बेलपत्र और बहुत कुछ चढ़ाते हैं, ताकि वह भगवान को प्रसन्न कर सकें। भगवान शिव का हर तरह का अभिषेक पसंद है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह से आप भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं। 
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'रुतम्-दुःखम्, द्रावयति-नाशयतीति रुद्रः' अर्थात जो सभी प्रकार के 'रुत' दुखों को का नाश करने वाले ही रूद्र हैं। ईश्वर, शिव, रूद्र, शंकर, महादेव आदि सभी ब्रह्म के ही पर्यायवाची शब्द हैं, ब्रह्म का विग्रह-साकार रूप शिव है। वेद ब्रह्म के विग्रह रूप अपौरुषेय, अनादि, अजन्मा ईश्वर शिव के श्वास से विनिर्गत हुए हैं, इसीलिए वेद मन्त्रों के द्वारा ही शिव का पूजन, अभिषेक, जप, यज्ञ आदि करके प्राणी शिव की कृपा सहजता से प्राप्त कर लेता है। बात करेंगे रुद्राभिषेक की यानि इस अभिषेक के बाद प्राणी को फिर किसी भी पूजा की आवश्यकता नहीं रहती क्योंकि- 'ब्रह्मविष्णुमयो रुद्रः' अर्थात् ब्रह्मा विष्णु भी रूद्रमय ही हैं। 
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शिव को प्रिय अभिषेक
शिवपुराण के अनुसार वेदों का सारतत्व, 'रुद्राष्टाध्यायी' है, जिसमें आठ अध्यायों में कुल 176 मंत्र हैं, इन्हीं मंत्रो के द्वारा 'त्रिगुण' स्वरुप रूद्र का पूजनाभिषेक किया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि 'शिवः अभिषेक प्रियः' अर्थात शिव को अभिषेक अति प्रिय है। 

रुद्राष्टाध्यायी के प्रथम अध्याय के 'शिवसंकल्पमस्तु' आदि मंत्रों से 'गणेश' का स्तवन किया गया है। द्वितीय अध्याय पुरुषसूक्त में नारायण 'विष्णु' का स्तवन है। तृतीय अध्याय में देवराज 'इंद्र' तथा चतुर्थ अध्याय में भगवान 'सूर्य' का स्तवन है। पंचम अध्याय स्वयं रूद्र रूप है तो छठे में सोम का स्तवन है, इसी प्रकार सातवें अध्याय में 'मरुत' और आठवें अध्याय में 'अग्नि' का स्तवन किया गया है। अन्य असंख्य देवी देवताओं के स्तवन भी इन्ही पाठमंत्रों में समाहित है। अतः रूद्र का अभिषेक करने से सभी देवों का भी अभिषेक करने का फल उसी क्षण मिल जाता है। 
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किस अभिषेक से क्या मिलता है फल
रुद्राभिषेक में श्रृष्टि की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करने की शक्ति है, अतः अपनी आवश्यकता अनुसार अलग-अलग पदार्थों से अभिषेक करके प्राणी इच्छित फल प्राप्त कर सकता है। इनमें दूध से पुत्र प्राप्ति, गन्ने के रस से यश, उतम पति/पत्नी की प्राप्ति, शहद से कर्ज मुक्ति, कुश एवं जल से रोग मुक्ति, पंचामृत से अष्टलक्ष्मी तथा तीर्थों के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस महीने में रुद्राभिषेक करने से शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। 

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