Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Oct, 2025 07:00 AM

Sant Kabir Das Story: एक युवक संत कबीर के पास मार्गदर्शन लेने पहुंचा। संत कबीर ने उसकी बात ध्यान से सुनी और उसे बैठने के लिए कहा। कुछ समय बाद संत कबीर ने पत्नी को दीया जलाकर लाने के लिए कहा। दोपहर का समय था।
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Sant Kabir Das Story: एक युवक संत कबीर के पास मार्गदर्शन लेने पहुंचा। संत कबीर ने उसकी बात ध्यान से सुनी और उसे बैठने के लिए कहा। कुछ समय बाद संत कबीर ने पत्नी को दीया जलाकर लाने के लिए कहा। दोपहर का समय था। कबीर की कुटिया में उस समय भरपूर उजाला था। ऐसे में दीया जलाना बहुत ही अटपटा लग रहा था। लेकिन संत कबीर की पत्नी बिना किसी प्रतिक्रिया के दीया जलाकर ले आई। थोड़ी देर बाद कबीर की पत्नी दो प्यालों में दूध लेकर आईं। संत कबीर और उस युवक ने दूध पीना शुरू कर दिया।
कबीर की पत्नी ने पूछा, “दूध मीठा हो गया या और चीनी लाऊं ?” तब तक युवक थोड़ा दूध पी चुका था। दूध खारा था। शायद उसमें चीनी के बदले नमक डाला हुआ था। लेकिन संत कबीर बोले, “दूध पूरा मीठा है। तुम अब जा सकती हो।”
युवक समझ नहीं पा रहा था कि खारे दूध को मीठा बताने का क्या औचित्य हो सकता है? वह सोचने लगा कि संत कबीर मुझे क्या बताना चाहते हैं। युवक इसी उधेड़बुन में था कि संत कबीर बोले, “तुम सहनशीलता की भावना के साथ नए जीवन में प्रवेश करोगे तो तुम्हें कभी दुख नहीं होगा। तुमने देखा, हम दोनों एक-दूसरे को कितनी शांति से सह लेते हैं। मैंने दिन में दीया मंगवाया। मेरी पत्नी इतना तो समझती है कि दिन में प्रकाश की जरूरत नहीं होती। फिर भी उसने इसे सहज भाव से लिया। इसी प्रकार मैंने भी उसे सहने का प्रयास किया। तुमने दूध पीया, वह खारा था। मेरे प्याले में भी वही दूध था। मैंने उसे कुछ नहीं कहा। अब कुछ कह कर उसका दिल क्यों दुखाऊं?”

संत कबीर ने प्रसन्नता का राज बताते हुए कहा कि जो लोग हमारी तरह एक-दूसरे को सहने का अभ्यास कर लेते हैं, वे कभी दुखी नहीं हो सकते। उनके परिवार में कभी तूफान नहीं आ सकता। युवक को जीवन दिशा मिल गई। वह कृतज्ञता से भरकर वहां से चला गया।
