Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Jan, 2024 11:25 AM
धार्मिक ग्रंथों में सफला एकादशी का महत्व धर्मराज युधिष्ठिर और भगवान कृष्ण के बीच बातचीत के रूप में वर्णित है। मान्यता है कि 1 हजार अश्वमेघ यज्ञ मिल कर भी इतना लाभ नहीं दे सकते, जितना सफला एकदशी का
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Saphala Ekadashi 2024: धार्मिक ग्रंथों में सफला एकादशी का महत्व धर्मराज युधिष्ठिर और भगवान कृष्ण के बीच बातचीत के रूप में वर्णित है। मान्यता है कि 1 हजार अश्वमेघ यज्ञ मिल कर भी इतना लाभ नहीं दे सकते, जितना सफला एकदशी का व्रत रखकर मिल सकता है। सफला एकादशी का दिन एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है। जिस दिन व्रत रखने से दुःख समाप्त होते हैं और भाग्य खुल जाता है। सफला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति की सारी इच्छाएं और सपने पूर्ण होने में मदद मिलती है।
Saphala Ekadashi: हर काम में सफलता देता है सफला एकादशी व्रत, शास्त्रों के अनुसार पढ़ें पूरी जानकारी
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Saphala Ekadashi Muhurat सफला एकादशी मुहूर्त
7 जनवरी, 2024 के लिए सफला एकादशी का मुहूर्त
सफला एकादशी पारणा मुहूर्त : 07:15:10 से 09:20:13 तक 8 जनवरी को
अवधि : 2 घंटे 5 मिनट
26 दिसंबर, 2024 के लिए सफला एकादशी का मुहूर्त
सफला एकादशी पारण मुहूर्त : 07:12:29 से 09:16:29 तक 27 दिसंबर को
अवधि : 2 घंटे 4 मिनट
पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। सफला से तात्पर्य सफलता, मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सारे कार्य सफल हो जाते हैं इसलिए इसे सफला एकादशी कहा गया है। इस दिन भगवान अच्युत की पूजा की जाती है।
Saphala Ekadashi puja method सफला एकादशी पूजा विधि
सफला एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को इस दिन भगवान अच्युत की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान को धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित करना चाहिए।
नारियल, सुपारी, आंवला, अनार और लौंग आदि से भगवान अच्युत का पूजन करना चाहिए।
इस दिन रात्रि में जागरण कर श्री हरि के नाम के भजन करने का बड़ा महत्व है।
व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिये।
Do not do these things on Saphala Ekadashi सफला एकादशी पर ये कार्य न करें
एकादशी के दिन बिस्तर पर नहीं, जमीन पर सोना चाहिए।
मांस, नशीली वस्तु, लहसुन और प्याज का सेवन का सेवन न करें।
सफला एकादशी की सुबह दातुन करना भी वर्जित माना गया है।
इस दिन किसी पेड़ या पौधे की फूल-पत्ती तोड़ना भी अशुभ माना जाता है।
Saphala Ekadashi mythology सफला एकादशी पौराणिक कथा
प्राचीन काल में चंपावती नगर में राजा महिष्मति राज्य करते थे। राजा के 4 पुत्र थे, उनमें ल्युक बड़ा दुष्ट और पापी था। वह पिता के धन को कुकर्मों में नष्ट करता रहता था। एक दिन दुखी होकर राजा ने उसे देश निकाला दे दिया लेकिन फिर भी उसकी लूटपाट की आदत नहीं छूटी। एक समय उसे 3 दिन तक भोजन नहीं मिला। इस दौरान वह भटकता हुआ एक साधु की कुटिया पर पहुंच गया। सौभाग्य से उस दिन ‘सफला एकादशी’ थी। महात्मा ने उसका सत्कार किया और उसे भोजन दिया। महात्मा के इस व्यवहार से उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई। वह साधु के चरणों में गिर पड़ा। साधु ने उसे अपना शिष्य बना लिया और धीरे-धीरे ल्युक का चरित्र निर्मल हो गया। वह महात्मा की आज्ञा से एकादशी का व्रत रखने लगा। जब वह बिल्कुल बदल गया तो महात्मा ने उसके सामने अपना असली रूप प्रकट किया। महात्मा के वेश में स्वयं उसके पिता सामने खड़े थे। इसके बाद ल्युक ने राज-काज संभालकर आदर्श प्रस्तुत किया और वह आजीवन सफला एकादशी का व्रत रखता रहा।
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317