Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या की रात करें ये खास उपाय, पितृ देंगे खुशियों भरा आशीर्वाद

Edited By Updated: 21 Sep, 2025 06:54 AM

sarva pitru amavasya 2025

Sarva Pitru Amavasya 2025:  सर्वपितृ अमावस्या, जिसे आमतौर पर महालय अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह वह दिन होता है जब पितरों की पूजा और तर्पण किया जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए...

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Sarva Pitru Amavasya 2025:  सर्वपितृ अमावस्या, जिसे आमतौर पर महालय अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह वह दिन होता है जब पितरों की पूजा और तर्पण किया जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए विभिन्न धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं। सर्वपितृ अमावस्या की रात पितरों के लिए पानी रखने की प्रथा भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके पीछे कई धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कारण हैं, जिनको समझना आवश्यक है।  हिंदू धर्म के अनुसार, इस दिन पितरों की पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनके द्वारा दैहिक या मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। पितर तर्पण और श्राद्ध कर्म इस दिन विशेष रूप से किए जाते हैं ताकि वे संतुष्ट हो सकें और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य बना रहे। जिन व्यक्तियों की श्राद्ध की तिथि न पता हो इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है। 

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Keep water at this place on Sarva Pitru Amavasya सर्वपितृ अमावस्या पर इस जगह रखें पानी 
सर्वपितृ अमावस्या का दिन श्राद्ध का आखिरी दिन होता है और इस दिन पितृ पृथ्वी लोक से अपने लोक वापिस चले जाते हैं। स वजह से इस दिन अमावस्या की रात पितरों के लिए पानी रखा जाता है। यह पानी इस वजह से रखा जाता है ताकि वह पूर्ण तरीके से अपनी प्यास बुझा सकें। 

पानी कहां रखना चाहिए ?

सर्वपितृ अमावस्या की रात या सुबह पितरों के लिए पानी रखने की सबसे उपयुक्त जगह होती है – घर का मुख्य द्वार या उसके पास का कोई स्वच्छ स्थान। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर रखा गया जल और भोजन, पितरों तक आसानी से पहुंचता है क्योंकि यहीं से वे प्रतीकात्मक रूप से हमारे घर में प्रवेश करते हैं।

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पानी को कांसे, तांबे या मिट्टी के लोटे में रखा जाता है, जिसे साफ किया गया हो। इसके साथ ही कुछ लोग आटे से बनी छोटी रोटियां भी रखते हैं। इन रोटियों को अक्सर खुले में इसलिए रखा जाता है ताकि पक्षी, विशेषकर कौए, उन्हें खा सकें।  यह इस विश्वास पर आधारित है कि कौए पितरों के प्रतीक माने जाते हैं।

पितृ दोष से मुक्ति का मार्ग

ज्योतिष शास्त्र में यह माना गया है कि यदि किसी व्यक्ति के जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है, तो उसे जीवन में बाधाएं, संघर्ष और मानसिक अशांति का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, पितरों के लिए जल अर्पित करना और श्रद्धा से भोजन देना इस दोष को शांत करने का एक प्रभावशाली उपाय माना गया है। जब पूर्वज तृप्त और प्रसन्न होते हैं, तो उनका आशीर्वाद परिवार में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का कारण बनता है।

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